Independence Day 2024 Celebration: देश को आजाद हुए 77 साल हो चुके हैं और इन 77 सालों में देश में आजादी के सफर को हर शख्स अलग-अलग तरीके से याद करता है. आजादी पाने के लिए बलिदान देना और आजादी में जीने में बड़ा अंतर है. जिन लोगों ने गुलाम भारत को आजाद कराया उनके संघर्ष और उनकी गाथाओं अमर हैं. देश के इस सफर पर कानपुर के युवाओं ने बताया कि आजादी के 77 साल पूरे होने पर उनकी नजर में इसके क्या मायने हैं.
कानपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ यतींद्र से सिंह कानपुर के एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर की भूमिका अदा कर रहे हैं. कुछ समय पहले वो युवा छात्र नेता थे. छात्र राजनीति का हिस्सा रहे डॉक्टर यतींद्र सिंह ने कहा कि देश की आजादी और उसकी सेवा के लिए सबके अपने-अपने मत है.
डॉक्टर यतींद्र सिंह ने आगे कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में समाज के प्रत्येक वर्ग ने संघर्ष किया. प्रत्येक भारतीय ने स्वतंत्रता के समय एक नवीन भारत के निर्माण का स्वप्न देखा था. आज भी भारत उस राष्ट्र पुनर्निर्माण की दिशा में गतिशील है.स्वामी विवेकानंद के सन्देश राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक में परस्पर विश्वास और बाबा साहब अंबेडकर के सन्देश समानता और परस्पर सम्मान को यथार्थ स्वरूप में धरातल पर उतारने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए. जिस दिन इन महापुरुषों के स्वप्नों का भारत साकार होगा उसी दिन भारत की स्वतंत्रता वास्तविक अर्थों में फलीभूत होगी. हम सभी भारतीय इस स्वतंत्रता दिवस पर संकल्प लें कि व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र पुनर्निर्माण की यात्रा में सहभागी होंगे.
विद्यार्थी परिषद से जुड़े एक और छात्र नेता सूर्यकांत मणि त्रिपाठी जिनका मानना है की जिन महापुरुषों ने हमारे देश को अंग्रेजों के चंगुल से निकाला, अपने प्राणों की आहुति दी, अपना परिवार और अपनों को छोड़ दिया ऐसे महान वीरों की गाथा को शायद ही कोई भूल पाए.हमारे बुजुर्गों ने हमारा आजादी की कहानियां सुनाई क्योंकि उन्होंने उस लड़ाई और संघर्ष को करीब से देखा.
सूर्यकांत मणि त्रिपाठी ने आगे कहा कि आज हम उनकी जुबानी जब क्रांति की कहानियां याद करते हैं या किताबों में लिखे लेख को पढ़ते हैं तो इस बात का एहसास होता है कि हमारी आजादी देश के वीरों की बदौलत है. हम आज भी देश के लिए समर्पित हैं और आने वाली पीढ़ी को भी देश की गाथा इसके आजादी की कहानी और महापुरुषों के त्याग को बताएंगे. हमें नहीं भूलना चाहिए कि आज आजाद भारत में आजादी हमें किसने दिलाई, उनके नाम को हमें रूह में बसा लेना चाहिए.
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