आजादी के 77 सालों में क्या खोया, क्या पाया? LU के छात्र नेताओं ने भारत के भविष्य पर दिये सुझाव
Independence Day 2024 Special: NSUI के अध्यक्ष राणा सुधांशु शर्मा ने कहा कि आज शिक्षा बहुत महंगी हो चुकी है. उन्होंने कहा इस विषय में मुझे भरोसा है कि देश का जो नेतृत्व है वो इस विषय में ध्यान देगा.
Independence Day 2024: भारत 15 अगस्त 2024 को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से 11वीं बार लगातार तिरंगा फहराएंगे. वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के NSUI के अध्यक्ष राणा सुधांशु शर्मा इस आजादी को लेकर कहते हैं कि 1947 से लेकर अब तक 77 साल बीत गए हैं. आजादी का जो सपना जो पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू, राष्ट्रपति महात्मा गांधी और भगत सिंह ने देखा था कि भारत हमारा ऐसा होगा, अब भारत उस राह पर चल चुका है.
सुधांशु शर्मा ने कहा पूर्व पीएम ने सपना देखा था कि हमारा एक भारत सशक्त होगा और आज भारत अंतरिक्ष में, वायु में, जल में, थल में हर जगह सशक्त है. भारत में ऐसे कई संस्थान है जो कि युवाओं को और देश के अन्य लोगों को बढ़ा रहे हैं, लेकिन जो महात्मा गांधी ने सपना देखा था कि एक हमारे देश में सौहार्द होगा, भाई-चारा होगा उससे कहीं न कहीं आज देश की जनता भटक चूकी है. उन्होंने कहा अगर देश को उन्नति और प्रगति पर आगे बढ़ाना है तो सौहार्द और भाई चारे की भावना को फिर से जागृत करना होगा और जो भगत सिंह ने सपना देखा था कि देश का युवा सशक्त होगा तो देश उन्नति करेगा. लेकिन आज युवाओं की स्थिति ऐसी है कि ना तो उनको उच्च शिक्षा मिल पा रही है, ना ही उन्हें रोजगार मिल पा रही.
NSUI के अध्यक्ष राणा सुधांशु शर्मा ने कहा कि आज शिक्षा बहुत महंगी हो चुकी है. उन्होंने कहा इस विषय में मुझे भरोसा है कि देश का जो नेतृत्व है वो इस विषय में ध्यान देगा और युवाओं के ऊपर, शिक्षा के ऊपर, स्वास्थ्य के ऊपर अधिक ध्यान देगा. मुझे पूर्ण विश्वास है आने वाले समय में भारत जब अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा तो हमारे देश की स्थिति, युवाओं की स्थिति कुछ और होगी. उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय का अपना इतिहास आजादी के आंदोलन में भी रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी विरासत जो थी वो छात्र संघ की थी पर आज छात्र संघ बंद होने की वजह से कई ऐसे युवा है जो की प्रतिभाशाली हैं जो कि देश का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं पर छात्र संघ बंद होने की वजह से उन युवाओं की प्रतिभा निखर के बाहर नहीं आ पा रही हैं. इसलिए देश और प्रदेश के नेतृत्व से इस बात की अपील करना चाहूंगा कि यहां छात्र संघ बहाल करें ताकि एक अच्छी लीडरशिप हमारे देश को मिल सके.
वहीं समाजवादी छात्रसभा के लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता शिवा यादव ने इस आजादी को याद करते हुए कहा कि आज की तारीख में लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. जिसमें हम टॉप हंड्रेड की रैंकिंग में है, लखनऊ विश्वविद्यालय वो जगह है जहां शिक्षा के लिए टैगोर लाइब्रेरी, साइबर लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं हमें प्रदान की जा रही है. शिक्षा के क्षेत्र में तो हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं लेकिन यही वो विश्वद्यालय हैं जहां से कई छात्र नेता ऐसे निकले जिन्होंने देश और प्रदेश को चलाया चाहे शंकर दयाल शर्मा जी की बात की जाए चाहे वर्तमान में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की बात की जाए या ऐसे अनेकों नाम हैं और ये नेता छात्रसंघ चुनाव से बने. क्योंकि छात्रसंघ ही छात्र नेता की नर्सरी हैं, हम चाहते हैं इस आजाद देश में इसे बहाल करना चाहिए. इसके साथ ही विश्वविद्यालय को इस वर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिले ये भी हमारी मांग है.
मुगलों और तमाम विदेशी आक्रांताओं से हम लड़ते रहे
एबीवीपी के छात्र नेता और लखनऊ विश्वविद्यालय के इकाई मंत्री जतिन शुक्ला ने कहा कि आज हम लोगों के आजादी के 77 वर्षों की यात्रा को पूरा कर चुके हैं लेकिन यह आजादी केवल ब्रिटिश शासन काल से हमको नहीं मिली ये बल्कि आजादी 900 वर्षों के संघर्ष के बाद मिली है. मुगलों और तमाम विदेशी आक्रांताओं से हम लड़ते रहे. भारत अपनी आजादी का 78वां स्वतंत्रता वर्ष मनाएगा. आज के समय में तमाम भाषण हम लोग 15 अगस्त के दिन सुनेंगे पर लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र होने के नाते मैं लखनऊ विश्वविद्यालय के बारे में कुछ बात करना चाहता हूं.
टैगोर लाइब्रेरी का स्वर्णिम इतिहास रहा- जतिन शुक्ला
जतिन शुक्ला ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय आज तमाम रैंकिंग के आधार पर देश के उच्च विद्यालय में बना है लेकिन उसके बावजूद अभी भी कुछ जगहों पर आजादी के मायने हमें बदलने हैं. मैं जिन मायनों में आजादी और व्यवस्थाओं में सुधार चाहता हूं वो हैं लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्राओं के छात्रावास टाइमिंग की. आज भी छात्रावासों का गेट 8 बजे रात में बंद हो जाता है. मैं चाहूंगा कि एक आजादी उनको भी दी जाए और और यह आजादी केवल विश्वविद्यालय का एडमिनिस्ट्रेशन उनको नहीं दे सकता. ये आजादी उनको हमारा समाज दे सकता है अपनी गंदी नजरों को सही करके. जैसे हमारी बहनें जो इस छात्रावास में पढ़ रही हैं, वो गर्व से पूरे लखनऊ में भ्रमण कर सकें. जब समाज में हमारी बहनों का हस्तक्षेप और सहभागिता बढ़ेगी उसके बाद निश्चित रूप से उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस का डेवलप होगा. वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय की हमारी टैगोर लाइब्रेरी का स्वर्णिम इतिहास रहा है और आज से कुछ दशक पूर्व यह एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक थी. लखनऊ विश्वविद्यालय का एक छात्र होने के नाते ये चाहूंगा कि यह लाइब्रेरी जो आज दिन के 7-8 घंटे खुली रही है वह 24 घंटे खुले.
यूपी में इन 9 दिनों में रहेगी 24 घंटे बिजली, UPPCL अध्यक्ष ने जारी किया आदेश