Independence Day Special: भारत के आजादी के संघर्ष की गवाह रही अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल में देश नामचीन हस्तियों के अलावा करीब 476 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आजादी के आंदोलन के दौरान निरूद्ध रहे. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा के कुछ अंश इसी जेल में गुजारने के दौरान लिखे थे. अल्मोड़ा की जिला जेल में स्वतन्त्रता संग्राम के दीवानों में पं. जवाहर लाल नेहरू, भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत, खान अब्दुल गफ्फार खान, हर गोविन्द पंत, विक्टर मोहन जोशी सहित अनेक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. अगस्त क्रान्ति के अवसर पर इस जेल के नेहरू वार्ड में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इन ऐतिहासिक यादों को समेटे हुए है.
नेहरू ने इस जेल में लिखे थे अपनी आत्मकथा के कुछ अंश
अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल 1872 में बनाई गई थी, जिसमें आजादी के अनेक वीरों को यहां रखा गया था. उत्तराखंड की सबसे पुरानी जेल अल्मोड़ा की जेल है. इस जेल में पंडित नेहरू दो बार रहे हैं. इनके अलावा भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत, खान अब्दुल गफ्फार खान सहित 7 लोग इस जेल में रहे. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई अनेक यादें यहा रखी हैं. इसी जेल में जवाहर लाल नेहरू ने मेरी आत्मकथा के कुछ अध्याय इसी जेल में लिखे थे. इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की अनेक यादे संरक्षित हैं. यहां स्थित नेहरू वार्ड में उनके खाने के बर्तन, चरखा, दीपक, चारपाई सहित पुस्तकालय भवन, भोजनालय आदि है.
कब और कौन कौन आन्दोलनकारी रहे इस जेल में:
जवाहर लाल नेहरू दो बार रहे 28-10-1934 से 3-9-1935 तक, फिर 10-6-1945 से 15-6-1945 तक
हर गोविन्द पंत दो बार रहे 25-8-1930 से 1-9-1930 तक फिर 7-12-1940 से 4-10-1941 तक
विक्टर मोहन जोशी 25-1-1932 से 8-2-1932 तक
सीमान्त गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान 4-6-1936 से 1-8-1936 तक
भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत 28-11-1940 से 17-10-1941 तक
देवी दत्त पंत 6-1-1941 से 24-8-1941 तक
कुमाउॅ केसरी बद्री दत्त पाण्डे 20-2-1941 से 28-4-1941
आचार्य नरेन्द्र देव 10-6-1945 से 15-6-1945 तक
सैयद अली जहीर 25-4-1939 से 8-6-1939 तक
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी यादें
आजादी के दीवानों के त्याग व बलिदान की गवाह रही यह ऐतिहासिक जेल अल्मोड़ा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की यादें ताजा करती है. अल्मोड़ा से ही कुली बेगार की अलख जगाई गई थी. वहीं, 1929 में महात्मा गांधी के आगमन होता है और सैकड़ों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में मुखर हुए.
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