Independence Day Special: आजादी के बाद से आज तक बदहाल है यूपी का ये गांव, पलायन को मजबूर हैं ग्रामीण
बलरामपुर के सदर ब्लॉक के तहत आने वाले कल्याणपुर मटहा गांव के लोग अब पलायन करने लगे हैं. गांव तक पहुंचने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है.
Independence Day Special: भारत आने वाली 15 अगस्त को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन, यूपी के बलरामपुर जिले का कल्याणपुर मटहा गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से अछूता है. यहां आज भी ना बिजली है, ना ही पानी है. और तो और ये गांव चारों तरफ से राप्ती नदी से घिरा हुआ है. पिछले साल गांव में एक स्कूल और एक मंदिर कटान की भेंट चढ़ गए थे. यहां ग्रामीण अब पलायन कर रहे हैं. ग्रामीण जहां-तहां अपना आशियाना तलाश रहे हैं. इतने बुरे हालात होने के बाद भी जिले का कोई भी अधिकारी इस गांव तक नहीं जाता. या यूं कहें जाना ही नहीं चाहता. क्योंकि, गांव तक जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है. नाव से नदी को पार करके गांव तक पहुंचना पड़ता है. लोग परेशान हैं लेकिन अधिकारी और नेताओं का ध्यान इनकी तरफ नहीं जा रहा है.
पलायन करने लगे हैं लोग
बलरामपुर के सदर ब्लॉक के तहत आने वाले कल्याणपुर मटहा गांव के लोग अब पलायन करने लगे हैं. यह गांव चारों तरफ से राप्ती नदी से घिरा हुआ है. यहां गांव तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. गांव के लोग निरक्षर हैं. इस अभिशाप को दूर करने के लिए राम उजागर नाम के व्यक्ति ने प्राथमिक विद्यालय बनाने के लिए अपनी जमीन तक दे दी थी. लेकिन, पिछले साल हुई कटान से वे स्कूल भी बह गया. साथ ही एक मंदिर भी उसी में समा गया.
प्रशासन से की ये मांग
कटान के कारण लोगों का आशियाना छिन गया और लोग वहां से विस्थापित होकर 3 हिस्सों में नदी किनारे ही किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन, अभी भी राप्ती नदी तेजी से कटान कर रही है, जिससे इन ग्रामीणों पर खतरा बना हुआ है. इस गांव में ना तो बिजली है ना ही पानी की व्यवस्था. लोग किसी तरह गुजर बसर करने को मजबूर हैं. गांव तक पहुंचने के लिए नाव ही एक मात्र विकल्प है जिस कारण कोई भी अधिकारी गांव तक जाना ही नहीं चाहता है. जबकि, ग्रामीण किसी भी आपात स्थिति या राशन आदि के लिए इसी नाव का सहारा लेते हैं. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि उन्हें इस स्थान विस्थापित करके कहीं और जमीन उपलब्ध कराई जाए, जिससे उनका जीवनयापन सुचारू रूप से हो सके.
नहीं मिली मदद
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले वर्ष हुई कटान में कई लोगों के मकान राप्ती में समा गए थे. सरकारी आंकड़ों में 35 पीड़ितों को 4100 रुपये की आर्थिक मदद देने की बात कही गई थी. जिसमे, कुछ लोगों को मदद मिली भी. लेकिन, अभी भी करीब दर्जन भर लोगों को मदद नहीं मिल सकी है. जिसके, लिए ग्रामीण लगातार तहसील के चक्कर लगाते रहते हैं.
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