Sukhbir Singh Sandhu: उत्तराखंड में राज्य सचिवालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के बाद मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू ने नौकरशाही को धीरे से जोर का झटका दिया. लालफीताशाही और नौकरशाही की अकर्मण्यता पर मुख्य सचिव ने आज आईएएस पीसीएस और सचिवालय संवर्ग के अधिकारियों को जहां एक तरफ स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं दी वहीं नसीहत देते हुए सकारात्मक सोच के साथ उन फाइलों को भी आजाद करने की बात कही जिन पर अफसर कुंडली मारे बैठे रहते हैं.


नायक बनें तो बेहतर होगा
मुख्य सचिव ने कहा कि आजादी का जश्न मनाना तो ठीक है लेकिन हम केवल आजादी के गाने गाकर और सुनकर, स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर लेते हैं. ये पर्याप्त नहीं है, वो लोग जिन्होंने आजादी दिलाई, उन्होंने जिस भारत की कल्पना की थी, उसको साकार करना ही असली आजादी का जश्न मनाना है. उन्होंने ये भी कहा कि वाट्सऐप और सोशल मीडिया पर हीरो बनने के बजाय हाकिम फाइलों पर सकारात्मक ढंग से काम करके नायक बनें तो बेहतर होगा. 


देश नागरिकों से बनता है 
सचिवालय में तय समय पर राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराने के बाद मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू आज अपनी लय में थे. उन्होंने नौकरशाही और लालफीताशाही को निशाने पर लिया और कड़ी नसीहत भी दी. संधू ने कहा कि जब हम आजादी की बात सोचते हैं तो जहन में देश का क्षेत्रफल उभरता है, लेकिन ये महज एक क्षेत्रफल का नक्शा है जो बेहद जरूरी है, जवान सीमा की रक्षा करते हैं तो हम निश्चित रहते हैं, लेकिन देश बनता है देश के नागरिकों से. उन्होंने कहा कि जब देश भक्ति की बात आती है तो हम इन नागरिकों को भूल जाते हैं, इन नागरिकों की सेवा भी देश सेवा है. हर किसी के सामने दो विकल्प होते हैं एक आसान और दूसरा कठिन, ह्यूमन नेचर के कारण ज्यादातर लोग आसान विकल्प चुनते हैं. लेकिन, कुछ लोग हैं जो कठिन विकल्प पर काम करते हैं. इसी तरह से गुलामी के दौर में भी बहुत लोगों ने आसान विकल्प का चयन कर जागीरें ले ली और जागीरदार बन गए, लेकिन कुछ लोगों ने बड़े और संपन्न घरानों से होने के बावजूद घरबार छोड़कर कठिन विकल्प चुनते हुए देश की लड़ाई लड़ी. उन्हें उस वक्त आतंकवादी भी कहा गया. लेकिन, इन्हें हम फ्रीडम फाइटर कहते हैं. 


उत्स्व मनाते हैं, चिंतन नहीं करते
सुखबीर सिंह संधू ने कहा कि हम 15 अगस्त का इंतजार करते हैं और उत्स्व मनाते हैं. लेकिन, चिंतन नहीं करते. कुछ लोग स्वमूल्यांकन करते हैं और ये जानने की कोशिश करते हैं कि हम कहां खड़े हैं और कहां होना चाहिए था. नौकरशाही पर तंज कसते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि फाइलों पर इतनी कंडीशन मत लगाइए जो पूरी ही ना हो सके और प्रदेश किसी बड़े फायदे से वंचित रह जाए. आज हमें ये प्रण करना चाहिए कि जो भी पत्रावली हमारे सामने आएगी उसे संवेदनशीलता के साथ देखेंगे और आसान विकल्प खोजने के बजाय कठिन विकल्प चुनकर राज्य हित में काम करेंगे. फाइल पर नीचे से लगकर आए निगेटिव नोट का समर्थन करके संतुष्ट नहीं होंगे और मेन्टल हार्ड वर्क करके उस प्रस्ताव को जस्टिफाई कराकर सक्षम ऑथॉरिटी से स्वीकृत कराकर जनता के लिए काम करेंगे.


कठिन विकल्प को बहुत कम लोग चुनते हैं
मुख्य सचिव ने ये भी कहा कि कोई किसी के बनाने से पॉजिटिव नहीं होता, ये भावना स्वयं के भीतर पैदा करनी होती है. सचिवालय राज्य की शीर्ष संस्था है जो राज्य को गवर्न करती है. यदि जनहित का कोई प्रस्ताव आता है और वो रूल्स में फिट नहीं बैठता तो अफसर उस पर रूल का हवाला देते हुए फाइल पर निगेटिव नोट करके आगे बढ़ाकर खुद को सक्षम मानते हुए ये मान लेते है उनके टेबल पर कोई पेंडेंसी नहीं है. यही आसान विकल्प होता है और कठिन विकल्प ये है कि यदि प्रस्ताव वास्तव जनहित का है और प्रदेश को फायदा होता है तो रूल्स बदलने चाहिए, क्योंकि रूल्स तो हम लोग ही बनाते हैं. इस कठिन विकल्प को बहुत कम लोग चुनते हैं.



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