Indaia-Pakisatan Rataul Mangoe News: भारत में पैदा किया जाने वाला आम अब पाकिस्तान अपना बताता हुआ नजर आ रहा, जिसको लेकर पाकिस्तानी अखबारों ने इस आम को अपना बताया है. इस आम के नाम पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया है, जबकि यह आम भारत देश के उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक गांव में पैदा किया गया था. इस आम को पौधे के तौर पर पाकिस्तान भेजा गया था, लेकिन जब पाकिस्तान में आम की पैदावार बढ़ गई तो इस आम को पाकिस्तान ने अपना नाम दे दिया, लेकिन विदेशों तक इस आम का डंका बज रहा है, जबकि यह आम भारत के उत्तर प्रदेश में उगाया गया था और इसकी पौधे भी उत्तर प्रदेश में पैदा की गई थी.


पाकिस्तान की तरफ से आम को अपना बताने पर बवाल खड़ा हो गया है. इस आम की पैदावार करने वाले पूर्वजों के वंशज की तरफ से इस आम को लेकर पूरी जानकारी दी है, और पाकिस्तान पर सवाल खड़े किए थे. इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से भी यू टर्न ले लिया गया. वजह थी आम की पौध पाकिस्तान को आम भेजने वाले के वंशज की तरफ से पाकिस्तान को जवाब दिया गया था, जिसको लेकर अब डॉ. राहत अबरार ने खास बातचीत में कहा कि, ''पाकिस्तान का विश्व प्रसिद्ध 'अनवर रटौल आम' मूल रूप से भारत के बागपत जिले के रटौल गांव का है. एक लेख प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने मेरा बयान और फोटो भी प्रकाशित किया है और स्वीकार किया है कि रटौल आम का मुख्य संबंध भारत के बागपत के गांव से है.''


भारत में कम हो रहा रटौल आम का उत्पादन 


यह वही आम है, जिसको पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने इंदिरा गांधी को तोहफे के रूप में भेजे थे. पाकिस्तान जिस आम को अपना बताता है और 'अनवर रटौल' के नाम से दुनिया के विभिन्न देशों में निर्यात करता है. भारत में रटौल आम का उत्पादन कम हो रहा है, जिसके कारण यह बाजारों में कम दिखाई देता है और लोगों के बीच इसके बारे में जानकारी कम है. यही कारण है कि इसे वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान का आम माना जाता है.


वैसे तो आम की तीन सौ से भी ज्यादा किस्में हैं, लेकिन कुछ खास आम ऐसे भी हैं जो न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं. इसका मशहूर आम 'अनवर रटौल के नाम से अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाता है, लेकिन पाकिस्तान में रटौल आम के बारे में एक हालिया लेख में यह स्वीकार किया गया है कि रटौल आम मुख्य रूप से भारत के बागपत क्षेत्र के रटौल गांव का है. जी हां, लेख में अनवर (अनवर रटौल) के पोते डॉ. राहत अबरार का बयान भी प्रकाशित हो चुकी है, जिसके बारे में उन्होंने खुद एबीपी लाइव को बताया है.


राहत अबरार क्या बोले?


डॉ. राहत अबरार ने बताया कि भारत की आजादी के समय जब मेरे चाचा अबरार-उल-हक पाकिस्तान गए तो वह रटौल गांव से कुछ आम के पौधे अपने साथ पाकिस्तान ले गए, जिन्हें उन्होंने वहां लगाया और जब पौधों को वहां की जलवायु पसंद आई तो अतः वहां आम खूब फला-फूला जिसके कारण वहां उसके बगीचे भी लगाये गये. 


अबरार-उल-हक ने रटौल आम के साथ अपने पिता (राहत अबरार के दादा) का नाम जोड़ दिया, जिससे उनका नाम अनवर रटौल पड़ गया और इसके साथ ही पाकिस्तान ने इसे अन्य देशों में निर्यात करना शुरू कर दिया, जिससे आम दुनिया भर में पाकिस्तान के नाम से जाना जाने लगा. उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में पाकिस्तान में अनवर रटौल आम और उसके मुख्य संबंध को लेकर एक लेख प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने मेरा बयान और फोटो भी प्रकाशित किया है और स्वीकार किया है कि रतौल आम का मुख्य संबंध भारत के बागपत क्षेत्र से है.


अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में मौजूद है आम की खेती


वहीं दूसरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी राहत अबरार की तरफ से इस आम की खास बात बताई. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस आम की खेती मौजूद है. आम की खास बात यह होती है इसमें गूदा ज्यादा होता है और जबकि इसका पत्ता काफी पतला होता है और इस आम की गुठली काफी छोटी होती है. इस आम को अगर घर में रख दिया जाए तो यह आम पूरे घर में खुशबू पैदा कर देता है.


इस आम के खाने के बाद जो लोगों को डकार आती है. उस डकार से भी आम की खुशबू आती है. इस आम की बनावट काफी गोल होती है. राहत अबरार ने बताया उनके ताऊ अबरारुल हक जो पाकिस्तान इस आम की पौध लेकर गए थे उसके बाद से ही पाकिस्तान में इस आम को उगाया गया था. राहत अबरार के दादा अबरार उल हक के फादर थे. अनवर जिनके नाम से इस आम का नाम अनवर रटौल पड़ा था. 


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