देहरादून: भारत के पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन रविवार को उत्तराखंड के देउबन में खुल गया. ये राज्य की राजधानी देहरादून से तकरीबन 99 किलोमीटर की दूरी पर है और 8850 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस गार्डेन में क्रिप्टोगेम्स की लगभग 76 प्रजातियां हैं. बता दें कि, क्रिप्टोगैम्स वो पौधे हैं जो बिना बीज के तैयार होते हैं. गार्डन में तैयार की गई प्रजातियां जुरासिक युग में पायी जाती थी.


सबसे अच्छे बायो इंडीकेटर


क्रिप्टोगेम्स की एक खासियत ये भी है कि, ये प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं उगते. इन्हें सबसे अच्छा बायोइंडीकेटर माना जाता है. देउबन के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि, यह जगह प्रदूषण रहित और देवदार और ओक के जंगलों से घिरी है. 


भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डेन


उन्होंने बताया कि, ये भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन है. उन्होंने कहा कि, यहां तैयार पौधे प्रदूषण रहित वातावरण और अधिक नमी में तैयार किये जा सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि, वातावरण में थोड़ा बदलाव भी अगर होता है तो ये पौधे खत्म हो जाते हैं. चतुर्वेदी ने बताया कि, यहां लाइकेन, शैवाल जैसे प्रजातियां हैं, जो प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने में मददगार साबित होते हैं. उत्तराखंड में करीब 539 लाइकेन, 346 शैवाल की प्रजातियां हैं. 


क्या होते हैं क्रिप्टोगेमिक


क्रिप्टोगेमिक पौधे बिना बीज के तैयार होते हैं. आसान शब्दों में कहें तो ये बिना बीज वाले पौधो की प्रजातियां होती हैं. इनमें कोई बीज, कोई फूल आदि नहीं होते हैं. जैसे शैवाल, लाइकेन, फर्न, कवक क्रिप्टोगेम के प्रचलित समूह हैं. क्रिप्टोगेम को अस्तित्व में रहने के लिए नम परिस्थितियों की आवश्यकता होती है.


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