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Champawat: भारत का मोस्ट हॉन्टेड अस्पताल, जहां डॉ डेथ करता था जिंदा लोगों पर मौत की रिसर्च, यहां अकेले जाना मना है !

haunted Hospital in Champawat: उत्तराखंड के चंपावत की हसीन वादियों में है ब्रिटिश काल के डॉ डेथ कहे जाने वाले डॉक्टर का रहस्यमयी अस्पताल, जहां जिंदा लोगों पर मौत की रिसर्च की जाती थी.

Most Haunted Hospital In Champawat: उत्तराखंड के चंपावत जिले (Champawat) की हसीन वादियों के बीच ब्रिटिश काल में एक अस्पताल हुआ करता था, जहां स्थानीय लोगों को मुफ्त इलाज मिलता था, लेकिन इसके साथ ही यहां पर होती थी रहस्यमय रिसर्च. इस अस्पताल में ब्रिटिश काल में डॉ डैथ (Dr Death) कहे जाने वाले डॉक्टर मॉरिस मौत पर रिसर्च किया करते थे. जिसके बाद एबॉट माउंट (Abbott Mount) में बना ये अस्पताल एक हॉन्टेड प्लेस बन गया और आज इसे हिन्दुस्तान का सबसे हॉन्टेड अस्पताल (Most Haunted Hospital In India) कहा जाता है. इसके बारे में कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. 

जिस जगह पर जाने से कांपते हैं लोग
चम्पावत जिले से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर स्थित पर बसा है एक छोटा सा कस्बा जिसे एबॉट माउन्ट (Abbott Mount) के नाम से जाना जाता है. एबट माउन्ट को ब्रिटिश (Britishers) शासन काल में अंग्रेजों ने बसाया था और दुनिया भर में इस जगह को इसकी खूबसूरती के लिए जाना जाता था. ये कस्बा हिमालय और प्रकृति की गोद में बसा हुआ है. यहां से सबसे नजदीक शहर लोहाघाट (Lohaghat) है, जो करीब सात किमी की दूरी पर स्थित है. इस कस्बे को एबट माउंट जॉन हेरॉल्ड एबॉट द्वारा बसाया गया था इसीलिए इसका नाम माउंट एबट रखा गया. इस जगह पर आज भी उस समय की करीब 16 पुरानी हवेलियां मौजूद हैं. पास में ही बेहद खूबसूरत लेकिन अपने अंतिम दिन गिनता एक चर्च भी है और इसके निचले स्थान पर कब्रिस्तान बना हुआ है जहां दस-बारह कब्रें हैं. यहां पर एक हॉस्पिटल के अलावा थोड़ी ही दूरी पर एक घर भी बना है जिसे लोग मुक्ति घर अथवा मुक्ति कोठी कहते हैं. 

हॉन्टेड अस्पताल की रहस्यमय कहानी

ये हॉन्टेड अस्पताल पहले एबी बंगले के तौर पर जाना जाता था. जिसे बाद में अस्पताल में तब्दील कर दिया था. इसी बंगले के पास मुक्ति कोठी बनी हुई है. ब्रिटिश काल में इस अस्पताल में डॉ मौरिस लोगों का मुफ्त इलाज किया करता था. कहते है उसके इलाज में जादू था. वो असाध्य से असाध्य रोगों का सफल इलाज कर लिया करता था. यही नहीं डॉ मौरिस मरीजों की नाड़ी देखकर उनकी मौत का समय पहले से ही बता देता था. उसके बाद वो उस मरीज़ को अस्पताल के पास स्थित मुक्ति कोठी में भेज देता था और अगली सुबह तक उसकी मौत हो जाती थी. 

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यहां पर प्रचलित है कई भूतों की कहानियां

लोगों में इस बात को लेकर अब भी भ्रम है कि क्या डॉक्टर मौरिस उन्हें मारता था या फिर वो प्राकृतिक रूप से मरते थे. लेकिन एक बात तो तय है कि इस पूरे क्षेत्र में भूत-प्रेत और मृत आत्माओं का गढ़ है. लोग बताते हैं कि ऐबी बंगला इस पूरे क्षेत्र का पहला घर था जो कि अब उस पहाड़ी पर प्रेतों का गढ़ बन गया है. स्थानीय निवासियों के बीच यहां पर हुई कई तरह की भूत की कहानियां प्रचलित हैं. बताया जाता है कि 1915 के आसपास ये अस्पताल भारत के जाने माने हॉस्पिटल में से एक था और यहां पर देश भर से लोग अपना इलाज़ कराने के लिए आते थे. डॉक्टर मौरिस लोगों की नब्ज देखकर उसका भविष्य बता देते थे, इसलिए लोगों का विश्वास उन पर बढ़ता गया, अगर वह किसी मरीज को देखकर कह देते थे कि यह दो दिन में मर जायेगा तो वो सच में मर जाता था. लोगों का विश्वास इतना प्रगाढ़ हो गया था कि उस समय के लोग डॉ मौरिस को भगवान के समान मानने लगे थे.


Champawat: भारत का मोस्ट हॉन्टेड अस्पताल, जहां डॉ डेथ करता था जिंदा लोगों पर मौत की रिसर्च, यहां अकेले जाना मना है !

जिंदा लोगों पर मौत की रिसर्च करते थे डॉ डेथ

कहते हैं कि डॉ मौरिस किसी मरीज को बता देते कि यह मरीज दो दिन में मर जायेगा तो उसका मरना तय मान लिया जाता था, ऐसे में अक्सर कई बार दूर पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले स्थानीय गरीब लोग अपने मरीजों को नीचे बने मुक्ति घर में छोड़कर चले जाते थे, जहाँ दम तोड़ने तक मरीजों को अच्छा खाना और इलाज दिया जाता था. इन मरीजो में से ज्यादातर मरीज तो मर जाते थे लेकिन कुछ बच भी जाते थे. लेकिन तब तक उनका कोई सगा संबंधी नहीं होता थो जो उन्हें घर ले जाए. ऐसे में डॉ मौरिस उन जिन्दा लोगों पर जिनकी किसी को जरुरत नहीं थी अपनी रहस्यमयी रिसर्च करने लगे.

आज भी इस जगह पर है भूतों का डेरा

बताया जाता है कि डॉ मौरिस उन जिन्दा इंसानों के ब्रेन को खोल देते थे और इस बात को पता लगाने की कोशिश करते थे कि एक जिन्दा व्यक्ति और मृत व्यक्ति के दिमाग में क्या अंतर आता है. इस तरह से वह जिन्दा व्यक्ति को इंजेक्शन के जरिये कई तरह की दवाएं देकर जिन्दा और मृत के बीच की अवस्था में रखते थे. इसके साथ ही वो आत्मा की सच्चाई को परखने और आत्मा का वजन करने से संबंधी प्रयोग भी कर रहे थे. बताया जाता है कि दिल्ली के एक सहयोगी डॉक्टर ने उनके इस राज का पर्दाफाश कर दिया था और उनके प्रयोग रोक दिए गए. जिसके बाद प्रयोग में प्रयुक्त हुए उन सब आधा जिन्दा और आधे मरे इंसानों ने बीच में ही दम तोड़ दिया और उनका शोध आगे नहीं बढ़ सका. 

यहां अकेले जाना मना है

डॉ मौरिस की मौत के बाद इस जगह को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. ऐसा माना जाता है कि यहां पर आज भी उन सबकी आत्माएं भटकती हैं. इसीलिए इस अस्पताल को अब भारत का मोस्ट हॉन्टेड प्लेस में शामिल कर दिया गया. इस एबॉट माउन्ट को भूतों का गढ़ माना जाता है. आज भी स्थानीय लोग इस ओर अकेले आने से भी घबराते हैं और अगर कोई भूल से इस और चला भी आता है तो उसे कई तरह की मानसिक व परालौकिक परेशानियां और दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं. कुछ लोगों की तो जान भी जा चुकी है. यही वजह है कि यहां कोई आना पसंद नहीं करता और अकेले तो बिलकुल भी नहीं. 

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