नई दिल्ली, एबीपी गंगा। भारत सरकार (Indian Government) ने मलेरिया की दवा (Malaria Medicine) निर्यात करने का फैसला लिया है। मंगलवार को अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि भारत अपने पड़ोसी देशों समेत अन्य को मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन निर्यात करेगी। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी (Coronavirus) से निपटने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसी के अनुरूप ये फैसला लिया गया है। बता दें कि ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली सबसे पुरानी और सस्ती दवा है।
कोरोना के इलाज में मलेरिया की दवा का इस्तेमाल
पिछले महीने भारत ने हाइड्रोक्सीलक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। दरअसल, ऐसी खबरें सामने आईं थी कि कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका जिक्र कोरोना संकट से जूझ रहे अमेरिका ने भी किया था और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Tump) ने भारत ने मलेरिया की दवाई निर्यात करने के लिए आग्रह किया था।
ट्रंप ने भारत को दी थी धमकी
हालांकि, इसके बाद ट्रंप के तेवर कुछ तल्ख की दिखाई दिए और उन्होंने भारत को आगाह करते हुए कहा कि उनके व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद अगर भारत हाइड्रोक्सीलक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं करता है, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई कर सकता है।उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी होगी, अगर भारत नहीं मानता है, क्योंकि अमेरिका से उसके अच्छे संबंध हैं।
भारत करेगा पेरासिटामोल और एचसीक्यू का निर्यात: विदेश मंत्रालय
इस सब के बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता और सहयोग दिखाना चाहिए। इसी नजरिए से हमने अन्य देशों के नागरिकों को उनके देश पहुंचाया है।' उन्होंने इस विषय पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'वैश्विक महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर, यह फैसला किया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्लोरोक्वीन) को उचित मात्रा में उपलब्ध कराएगा, जिनकी निर्भरता भारत पर है।'
अमेरिका के अलावा इन देशों ने भी भारत से मांगी मदद
दरअसल, अमेरिका के अलावा भारत को अपने निकटतम पड़ोसी देशों श्रीलंका और नेपाल के अलावा कई अन्य देशों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवाई) की आपूर्ति को लेकर अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
आखिर ट्रंप ने भारत से मलेरिया की दवाई क्यों मांगी?
ये तो अबतक सभी जान चुके हैं कि कोरोना वायरस की जंग जीतने के लिए अभी तक कोई भी टीका नहीं बना है, लेकिन अमेरिका में इसके इलाज के लिए मलेरिया की दवाई का इस्तेमाल हो रहा है। कहा जा रहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल करने से अमेरिका में कई कोविड-19 मरीज ठीक भी हुए हैं। यहीं वजह है कि ट्रंप ने भारत से इस दवा को अमेरिका को देने के लिए आग्रह किया था। हालांकि, ट्रंप ने जिस दवा को अमेरिका के लिए मांगा है, उसके निर्यात पर भारत में पहले से ही प्रतिबंध लगा है। 25 मार्च 2020 को डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए सर्कुलर जारी किया था। हालांकि, अब भारत सरकार ने दवा के निर्यात का फैसला लिया है।
भारत में मलेरिया की दवा की सप्लाई में कोई कमी नहीं
भारत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल आर्थेराइटिस(गठिया), मलेरिया और ल्यूपस (LUPUS) नाम की बीमारी के इलाज में किया जाता है। भारत में ये दवा पांच कंपनियां - Cipla, IPCA, Intas, Wallace और Zydus Cadila बनाती हैं। भारत में इस दवा की सप्लाई में कोई कमी नहीं है।
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