Independence Day 2021: आगरा में भारतीय सेना का शौर्य प्रदर्शन, दुश्मन पर घातक वार करने वाले हथियारों को दिखाया गया
स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर आगरा में भारतीय सेना ने अपने अद्भुत साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया.
Indian Army in Agra: आगरा कैंट के BOC मैदान में 7वीं पैराट्रूपर बटालियन की तरफ से उन हथियारों की नुमाइश की गई, जिसके जरिए भारतीय सेना अपनी सरहदों की सुरक्षा करती है, बल्कि दुश्मन देश के अंदर जाकर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन को अंजाम देती है.
पहाड़ों पर काम आने वाले उपकरण
इसमें सबसे पहले उन हथियारों को दिखाया गया, जिसके जरिए भारतीय सेना की शौर्य को सर्वोच्च पहाड़ियों को फतह करने के लिए मददगार के रूप में देखा जाता है. चाहे 50 मीटर रोप हो, 30 मीटर की रोप हो, बॉडी जैकेट हो या घुटने और कोहनी की सुरक्षा के लिए गार्ड इसके अलावा केमोफार्ज को भी दिखाया गया, जिसके जरिए एक सैनिक पहाड़ चढ़ते समय खुद को आसपास के वातावरण में इस तरीके से छुपा लेता है कि दुश्मन देश को उसका पता ही ना चला पाता. खींचने के लिए मशीनों का इस्तेमाल कैसे होता है, हथियारों और इंडिकेटर का प्रयोग भी जिसके जरिए अलग-अलग प्वाइंट और पहाड़ियों की सूचना रखी जा सकती है.
घातक हथियार
भारतीय पैरा कमांडो, स्पेशल फोर्स और एयरबोर्न फोर्सेज के लिए इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग हथियारों को भी दिखाया गया. जिसमें 9 एमएम की सामान्य पिस्टल से लेकर 6 mm tavor इजराइल में बनी हुई, इस असाल्ट राइफल को साइलेंसर के साथ जोड़कर स्नाइपर व्यापम के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें नाइट विजन के साथ, डे-वीजन और लेजर डॉट पॉइंट भी है. एके-47 से लेकर उसके आधुनिक रूप 84 एमएम शोल्डर माउंट रॉकेट लॉन्चर. देश की पहली जंग यानी 1948 से लेकर आज तक इस्तेमाल होने वाली 51mm की मोटर, शानदार ak47 राइफल, एक साथ 30 ग्रेनेड को फायर करने की क्षमता रखने वाले मल्टी ग्रेनेड लॉन्चर सिस्टम स्नाइपर के साथ सपोटर यानी वह व्यक्ति जो टारगेट की दूरी, हवा की गति, एलिवेशन और ग्रेविटी का अंदाजा रखते हैं, उनके लिए अलग अलग तरह की कैमरे. 4 किलोमीटर दूर तक के इलाके में नजर रखने वाले ड्रोन जो 5000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं, जिसके जरिए पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा पर नजर रखी जा सकती है, 81mm मोटार आदि को भी दिखाया गया.
120mm की मोटर और खास तौर पर मौजूदा समय में हल्के हेलीकॉप्टर, धीमी गति से उड़ने वाले हवाई जहाज और ड्रोन को 5 किलोमीटर की रेडियस में मार गिराने वाले.
एयरबोर्न कंपैक्ट पोस्ट को भी दिखाया गया जिसमें भारतीय रेडारों से सीधी सूचना कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस, किसी भी लोकेशन में जाकर लगाई जा सकती है, और 5 किलोमीटर की दूरी में 300 से ज्यादा मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से उड़ने वाले किसी भी हवाई जहाज को गिराया जा सकता है. जो निश्चित करें कि, आसपास भी नहीं उड़ सकता, मौजूदा समय में जब सीमा पार से ड्रोन के जरिए हमला करने की कोशिश की जा रही हो, ऐसे हवाई जहाज से गिरा करती और बहुत त्वरित गति से किसी भी स्थान पर लगा करके. यह ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बन जाता है जिससे 5 किलोमीटर के रेडियस में हवाई सुरक्षा प्रदान की जा सकती *इगसा* एयर डिफेंस सिस्टम बताया गया है. यानी जहां पृथ्वी एडवांस एयर डिफेंस और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को लगाने में समय लगता है. इस सिस्टम के जरिए किसी भी एक इलाके की हवाई सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता.
सबसे महत्वपूर्ण हथियारों में से एक बीएमपी को भी दिखाया गया, जिससे सामान्य भाषा में हल्का टैंक माना जा सकता है, जो हवाई जहाज से पैराशूट के जरिए गिराए जा सकते हैं. जिसमें आरमर व्हीकल के अंदर 4 मीटर की मेन तोप लगी होती है ,जो 4 से 5 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है ,पीछे एंटी टैंक सिस्टम भी लगा होता है, जिसके जरिए ना सिर्फ बख्तरबंद टैंक को बल्कि मजबूत से मजबूत मोर्चाबंदी वाले बनकर को भी तोड़ा जा सकता है.
हिंदुस्तान आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है. अमृत महोत्सव पर आगरा कैंट में भारतीय एयरबोर्न फोर्स के 75 कमांडो उसमें 9000 फुट की ऊंचाई पर हवाई जहाज से एयर ड्रॉप किया, 7000 फीट की ऊंचाई पर पैराशूट खोले गए और स्पेशल फॉर्मेशन यानी युद्ध अभ्यास विन्यास के साथ जमीन को छुआ और कंपैक्ट असोल्ट फॉर्मेट के लिए तैयार हो गए.
एयरबोर्न फोर्स दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी पैरा फोर्सेज है, जिसका इतिहास आजादी से भी पहले 1941 यानी प्रथम विश्वयुद्ध तक जाता है. जिसके दम पर भारतीय सेना ने 1947-48 में कश्मीर के नौशेरा पर फतह हासिल की. 62 की जंग में चीन के दांत खट्टे करने के लिए नेफा वैली में भी इसी फोर्स का इस्तेमाल किया गया. 1965 में लाहौर के करीब भारत में अहम ठिकानों को इसी पैरा ब्रिगेड के सहारे फतेह किया और सबसे बड़ी उपलब्धि 1971 की जंग में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश के जन्म के साथ हुई, जब जनरल नियाजी का आत्मसमर्पण ढाका के दाने के साथ शुरू हुआ और इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण बन गया. करगिल की ऑपरेशन विजय से लेकर ऊरी के सर्जिकल स्ट्राइक तक स्पोर्ट ने भारतीय सेना के सारे में अदम्य साहस और वीरता की गाथाएं लिखी हैं.
जमीन को छूते ही भारत के साहसी कमांडो युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं, फॉरमेशन ऐसी कि अगर दुश्मन की सरजमीन पर फतह हासिल करनी हो ,तो शत्रु के स्नाइपर से लेकर, असोल्ट कमांडो तक भारत के शूरवीर उसे भयभीत हो जाए. पेरा रेजिमेंट में विशेष प्रकार के हथियारों का भी सहयोग लिया जाता है जिसमें लाइटवेट टैंक जिसे BMP कहा जाता है, यह सब बख्तरबंद है. जिसमें 6 कमांडो के साथ टैंक को उड़ाने और सामने की मेन बैटल तोप के लिए दो निशानची और एक ड्राइवर भी होते हैं. अगर दुश्मन सेना के सहयोग के लिए रिइंफोर्स टुकड़ी पहुंचेगी तो ,उन्हें दूर से नेस्तनाबूद करने के लिए तोड-आर्टलरी डिफॉर्मेशन का हिस्सा है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर एक ऐसा एयर डिफेंस कमांड सेंटर स्थापित किया जा सकता है, जो 5 किलोमीटर की परिधि में किसी भी लड़ाकू हवाई जहाज , हेलीकॉप्टर, ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है.
भारत और चीन की सीमा पर एक ऐसा करार है, जिसकी वजह से हथियारों का प्रयोग वर्जित है. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प इसी का उदाहरण है. जिसमें भारतीय शूरवीरों ने चीनियों के दांत खट्टे कर दिए थे, इसके लिए भी पेरा फोर्सेज के स्पेशल कमांडो को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है और बिना हथियार के लड़ना सिखाया जाता है. यह बताया जाता है कि, कैसे हथियारों से बड़ा हौसला होता है, हाथों के जरिए दुश्मन को पटकनी दी जा सकती है, आंखों से निशाना साधा जा सकता है और दिमाग से वह वार किया जा सकता है कि दुश्मन जमींदोज हो जाए. ऐसे करतब भी आगरा कैंट में दिखाए गए जिसके जरिए पैरा कमांडो के जौहर दिखाए गए जो बिना हथियारों के दुश्मनों के हौसले पथ कर सकते हैं.
शत्रुजीत ब्रिगेड
कुल मिलाकर आगरा में आज शत्रुजीत ब्रिगेड द्वारा स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर शौर्य, पराक्रम और वीरता का अद्भुत प्रदर्शन किया गया. आज शत्रुजीत ब्रिगेड के 75 पैराट्रूपर्स द्वारा अपनी तरह का एक कॉम्बैट फ्री-फॉल आयोजित करके आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया. लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी जीओसी-इन-सी सेंट्रल कमांड, एयर मार्शल आरजे डकवर्थ एओसी-इन-सी सेंट्रल एयर कमांड और आगरा के विभिन्न नागरिक गणमान्य व्यक्तियों ने मजबूत और सक्षम भारतीय सेना का प्रदर्शन देखा.
इस कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के 75 पैराट्रूपर्स द्वारा कॉम्बैट फ्री-फॉल से हुई. फ्री-फॉल के बाद 75 कुशल पैराट्रूपर्स द्वारा निहत्थे लड़ाकू प्रदर्शन किया गया. भारतीय वायु सेना द्वारा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का नियोजित हवाई संचालन प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम का समापन पैराट्रूपर्स द्वारा पैरा मोटर प्रदर्शन के साथ हुआ.
शत्रुजीत ब्रिगेड ने बीएमपी, आर्टिलरी गन्स, व्हीकल माउंटेड एंटी टैंक मिसाइलों और वायु रक्षा मिसाइलों के लाइव प्रदर्शन द्वारा अपनी तीव्र प्रतिक्रिया क्षमता को भी प्रदर्शित किया. नागरिक गणमान्य व्यक्तियों के लिए हवाई उपकरण और हथियारों की एक प्रदर्शिनी आयोजित की गई.
लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने शत्रुजीत ब्रिगेड के शहीद जाबांज सैनिकों जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था उन्हें शत्रुजीत युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि भी दी.
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