इलाहाबाद IIIT को मिली एक और उपलब्धि, भारत सरकार ने 6G पर रिसर्च के लिए किया चयन
IIIT Allahabad: इलाहाबाद ट्रिपल आईटी का शुमार विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों में होता है. इस संस्थान ने अपने नवाचार के के जरिये अलग पहचान बनाई है, इस संस्थान के हिस्से अब एक और उपलब्धि आई है.
Prayagraj News Today: प्रयागराज स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) के हिस्से में एक और बड़ी उपलब्धि आई है. देश के नामी आईटी संस्थानों में शुमार इस ट्रिपल आईटी को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने 6G टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करने के लिए सेलेक्ट किया है.
संस्थान के एक्सपर्ट्स की टीम 6G की उपयोगिता, गुणवत्ता, टेक्नोलॉजी और दूसरे बिंदुओं पर रिसर्च करेगी. संस्थान को इस पर रिसर्च करने के लिए टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवेलपमेंट फंड योजना (TTDF) के तहत तकरीबन डेढ़ करोड़ रूपये मिले हैं. ट्रिपल आईटी इलाहाबाद को 6G के साथ ही 5G टेक्नोलॉजी के अपग्रेडेशन पर भी रिसर्च करनी होगी.
6G के सभी आयामों पर रिसर्च
संस्थान के डायरेक्टर डॉ मुकुल शरद सुतावने के मुताबिक, इलाहाबाद की ट्रिपल आईटी 5G और 6G सेवाओं के अलग-अलग आयामों पर रिसर्च करेगी. संस्थान के एक्सपर्ट्स को मुख्य रूप से यह पता लगाना है कि यह सेवा कैसे टेक्नोलॉजी के मामले में और बेहतर हो सकती है, लोगों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा कैसे दिया जा सकता है?
इसके अलावा 6G की सेवा किन दूसरे मायनों में 5G से बेहतर साबित हो सकती है, इस पर भी रिसर्च किया जाएगा. संस्थान ने इससे पहले भी दूरसंचार विभाग के कई प्रोजेक्ट पर काम किया है. इ
लाहाबाद ट्रिपल आईटी को 6G सेवाओं पर रिसर्च के लिए जो टॉपिक दिया गया है वह एंड टू एंड संचार के लिए एक अर्थपूर्ण शिक्षण आधारित वास्तुकला का डिजाइन और विश्लेषण है.
6G का यह प्रोजेक्ट दूरसंचार विभाग DOT और दूरसंचार उत्कृष्ट केंद्र TCOE के सहयोग से पूरा होना है. संस्थान में इस प्रोजेक्ट पर रिसर्च प्रोफेसर नितेश पुरोहित और डॉक्टर सुनील यादव की देखरेख में होगा.
'कई विषयों पर जारी है रिसर्च'
संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर मुकुल शरद ने बताया कि इलाहाबाद ट्रिपल आईटी में 5G और 6G सेवाओं पर रिसर्च होगा. इसके साथ यहां वायरलेस संचार, आईओटी, साइबर सुरक्षा, एआई तकनीक और सिगनल प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी काम कर रहा है.
प्रोफेसर मुकुल शरद ने बताया कि नई रिसर्च से मोबाइल उपयोगकर्ता की निजता में और सुधार, रेडिएशन को कम करने, सरकारी प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मोबाइल धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी.
संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर मुकुल शरद के मुताबिक, उनका संस्थान संचार मित्र प्रणाली पर भी काम कर रहा है. संस्थान के प्रतिनिधि विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा और भारतीय मोबाइल कांग्रेस से जुड़कर भी काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें: यूपी के इस जिले में मिले 500 साल पुराने सोने के सिक्के, पर्शियन में लिखा हुआ है शाही फरमान