माणा (चमोली). भारत-चीन सीमा पर भारत का अंतिम हैरिटेज विलेज माणा गांव पर्यटकों के लिए खुलने से अब माणा गांव देश विदेश के पर्यटकों और श्रदालुओं से गुलजार है. कोरोना के चलते यात्रा सीजन से ही यह गांव किसी भी बाहरी व्यक्तियों के लिए आवाजही पूरी तरह प्रतिबंधित था. अब गांव वालों ने बैठक कर सर्वसम्मति से पर्यटकों और श्रदालुओं को यह गांव खोल दिया गया है. द्वितीय प्रहरी के रूप में बसा भारत का आख़री गांव माणा यूं तो पर्यटन एवं धार्मिक की दृष्टि से प्रदेश में अपना एक अलग ही स्वरूप बनाये हुये है. लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते पिछले पांच महीनों से ग्रामीणों द्वारा गांव में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश को वर्जित किया गया था. लेकिन जब चार धाम यात्रा धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी तो माणा गांव में भी श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचने लगे.
गांव में लौटी रौनक
लेकिन ग्रामीणों द्वारा गांव में बाहरी व्यक्ति को आने की अनुमति ना होने के कारण पर्यटक एवं श्रद्धालु गांव के प्रवेश गेट तक ही जा पा रहे थे. लेकिन अब सोमवार शाम से ही श्रद्धालु गांव में प्रवेश कर भीम पुल, ब्याश गुफा, गणेश गुफ़ा, बसुधारा पहुंच रहे हैं, जिससे अब गांव में एक अलग ही रौनक लौटी है. वहीं, पर्यटक स्थल भीम पुल भी लोगों की आवाजाही के चलते गुलज़ार हो गया है. गांव में पहुंच रहे लोगों की संख्या देखते हुये ग्रामीणों द्वारा शीतकाल में तैयार किए गये ऊनी कपड़ों के साथ साथ जंगलों से लायी हुयी औषधियां जैसे चाय मसालों की दुकानें भी खोल दी गयी हैं.
दुकानें भी खोली गईं
माणा गांव के क्षेत्र पंचायत सदस्य किशोर बडवाल ने बताया कि माणा गांव में बाहरी व्यक्तियों की अनुमति ना होने के कारण लोग गांव के गेट तक ही आ रहे थे लेकिन कल सभी ग्रामीणों की सहमति से निर्णय लिया गया है कि अब गांव में कोई भी व्यक्ति प्रवेश कर सकता है, जिससे अब हमारे द्वारा शीतकाल में तैयार किए गए ऊनी कपड़ों की भी दुकानें भी ग्रामीणों द्वारा खोल दिए गये हैं.
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