लखनऊ: यूपी के गांवों में भी युवाओं को रोजगार देने की कवायद योगी सरकार ने शुरू की है. इसके लिए सरकार ने कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए वर्षों से लागू एक अव्यवहारिक कानून को एक झटके में खत्म कर दिया. अब प्रदेश में कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. मुख्यमंत्री जहां युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने इस एक कानून के खत्म होने से अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा आसानी से अपनी फैक्ट्री स्थापित कर लोगों को रोजगार मुहैया करा सकेंगे. इस कानून के खत्म होने से प्रदेश के औद्योगिकीकरण में तेजी आयेगी. ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिहाज से भी यह एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.


एमएसएमई के लक्ष्य को पूरा करेगा ये कदम


मालूम हो कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार ने 20 लाख एमएसएमई इकाइयों को वित्तपोषित करने का लक्ष्य तय किया है. इसे पूरा करने में भी यह नियम अहम रोल निभाएगा. इस लक्ष्य को पूरा करने के क्रम में बीते 23 दिसंबर को प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया है.


चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म


पूर्व की सरकारों ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता बनाए रखी थी. इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदिवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था. इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था. इस कानून के चलते ग्रामीण इलाकों में उद्यम स्थापित करने में निवेशकों को असुविधा हो रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपना उद्यम स्थापित करने में रूचि नहीं ले रहे थे.


इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चहारदिवारी का निर्माण करने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला लिया. यह निर्णय करते हुए सरकार ने अब यह शर्त जोड़ी है कि कृषि जमीन का जिस उपयोग के लिए भू-उपयोग बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा. राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद छोटे बड़े उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी. सरकार का मत है कि इस फैसले से अब ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे बड़े उद्योग लगेंगे और ग्रामीणों को उनमें रोजगार मिलेगा. इससे एमएसएमई सेक्टर को मजबूती मिलेगी.


एमएसएमई से रोजगार देने में यूपी का रिकॉर्ड अच्छा


राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, एमएसएमई सेक्टर ने ही कोरोना संकट के दौरान बड़ी संख्या में राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट इसका सबूत है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई से रोजगार देने में यूपी ने कई राज्यों को पछाड़ा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 1.90 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए. सबसे अधिक रोजगार एमएसएमई ने दिया. प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में एमएसएमई सेक्टर में 8,07,537 इकाइयां कार्यरत हैं. इनमें 48,13,401 श्रमिक काम कर रहे थे. कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के प्रयास से 2,57,348 नए श्रमिकों को इस सेक्टर में रोजगार मिला है.


इसके अलावा सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन करने संबंधी कार्यवाही को पारदर्शी बनाया है और 14 जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए हैं. सरकार ने बड़े निवेशकों को औद्योगिक इकाई की स्थापना के लिए पारदर्शी तरीके से भूमि आवंटन की ई -प्रणाली पर भी काम शुरू किया है.


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