(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
50 का सिम कार्ड 10 रुपये में बेचने वाले गिरोह पर खुफिया एजेंसियों की नजर, सामने आया बड़े फर्जीवाड़े का खेल
लखनऊ में खुफिया एजेंसियों ने दो शातिर बदमाशों को पकड़ा है. ये लोगों को प्री एक्टीवेटेड सिम देकर फर्जीवाड़े का खेल कर रहे थे.
लखनऊ: 50 रुपये का प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड मात्र 10 रुपये में बेचने वाले दो शातिरों पर खुफिया एजेंसियों ने नजरें गड़ा दी हैं. दोनों शातिरों को चिनहट पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर 5028 प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड, 34 मोबाइल फोन, बायोमेट्रिक डिवाइस और सैकड़ों फर्जी आईडी बरामद की थीं. खुफिया एजेंसियां बीते दिनों एटीएस के हत्थे चढ़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह से दोनों का कनेक्शन खंगाल रही हैं.
पांच हजार से ज्यादा सिमकार्ड बरामद
चिनहट पुलिस और साइबर क्राइम टीम ने आलमबाग इलाके से बालामऊ हरदोई निवासी गोपाल मौर्या और इन्द्रा नगर उरई में रहने वाले भरत शर्मा को गिरफ्तार किया था. दोनों आलमबाग में किराए के मकान में रहते थे. उनके पास से 5028 प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड, 34 मोबाइल फोन और दो बॉयोमेट्रिक डिवाइस बरामद व फर्जी आईडी हुई थीं.
इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा
साइबर सेल के एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि दोनों बीएसएनल और वोडाफोन कम्पनी के सिमकार्ड बेचते थे. कंपनी से 30 रुपये का सिमकार्ड खरीदते थे. सिमकार्ड 50 रुपये में बेचने का नियम है, पर पकड़े गए दोनों आरोपी ज्यादा से ज्यादा सिमकार्ड बेचने के लिए उसे मात्र 10 रुपये में बेचते थे. वह रुरल एरिया और आउट स्कर्ट एरिया को टारगेट करते थे, जहां मोबाइल शॉप की दुकान नहीं होती हैं. ग्राहक से डॉक्यूमेंट्स लेकर उन्हें पहले से एक्टिव सिमकार्ड देते थे जिसमें कॉलिंग व इंटरनेट होता था. लोग दुकान से सिम खरीदने की जगह 10 रुपये में एक्टिव सिम खरीदते लेते थे. दोनों शातिर सिमकार्ड खरीदने के लिए लगाए गए डॉक्युमेंट से 4 से 5 सिमकार्ड और जारी करा लेते थे.
सिमकार्ड से फोनपे, गूगल पे डाउनलोड़ करते थे
ग्राहक के सिमकार्ड से फोन पे, गूगल पे, मोविक्विक जैसे वॉलेट डाउनलोड करते थे. पहली बार इन वॉलेट को डाउनलोड करने पर कैश बैक मिलता है. यहीं नहीं दूसरे नंबर पर भी रिफरल कोड कैश बैक का फायदा उठाते थे. इसके बाद सिमकार्ड को साइबर ठग या कॉल सेंटर को बेच देते थे. इन सिमकार्ड के जरिए पूरे देश में साइबर फ्राड किया जाता था. साइबर फ्राड कॉल सेंटर को एक्टिव सिम की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. एक से दो फ्राड के बाद सिमकार्ड बंद कर दिया जाता था और फिर नए सिमकार्ड से फ्राड के लिए कॉल किया जाता है.
खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि पकड़े गए शातिरों का कनेक्शन अंतरराष्ट्रीय गिरोह से है. कुछ दिन पहले एटीएस ने इसी तरह का गिरोह पकड़ा था जो फर्जी दस्तावेजों से सिमकार्ड हासिल कर विभिन्न बैंकों में खाते खुलवाकर मनी लॉन्ड्रिंग करता था. गिरोह में देश के विभिन्न हिस्सों से 16 लोगों के अलावा 3 चीनी नागरिक भी शामिल थे. खुफिया एजेंसियां गोपाल और भरत के उक्त गिरोह से संबंध खंगाल रही हैं.
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