देहरादून. एक लंबे समय बाद उत्तराखंड में मंगलवार सर्वाधिक राजनीतिक घटनाओं वाला दिन था. जहां विपक्षी दल आक्रामक थे तो वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा के भीतर छिड़ा संग्राम और बढ़ता दिख रहा था. पिछले तीन दिन में यह दूसरी बार हुआ है जब अपने ही कार्यक्रम होते हुए भी मंत्री हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा नहीं किया. उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि हरक सिंह रावत का फोन स्विच ऑफ़ नहीं है बल्कि त्रिवेंद्र सरकार स्विच ऑफ़ हो गयी है. उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद के साथ हरक सिंह रावत के मतभेदों की खबरों का ठीकरा मीडिया के सर फोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि सारा झगड़ा मीडिया करवा रहा है.


भाजपा की अंतर्कलह से विपक्ष के हाथ लगा मौका


तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के धरने प्रदर्शन में जुट रही जबरदस्त भीड़ ने दोनों दलों के नेताओं को सत्ता में आने का ख्वाब दिखाना शुरू कर दिया है. दोनों ही दल सरकार के ख़िलाफ़ पूरी आक्रामकता के साथ भिड़े पड़े हैं. उधर, भाजपा में बढ़ती अंतर्कलह चिंता का विषय बनती जा रही है. आज दिन भर के घटनाक्रम में गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव तीन दिन के उत्तराखंड दौरे पर पहुंचे हैं और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के साथ मिलकर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम कर रहे है. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के प्रभारी दिल्ली से विधायक दिनेश मोहनिया भी आज से तीन दिन के दौरे पर हैं और काशीपुर में सैकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने "आप" की सदस्य्ता ग्रहण की. आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड कांग्रेस में इस समय सत्ता पाने की कश्मकश साफतौर पर देखी जा रही है. इतना ही नहीं विपक्षी दल अब भाजपा के भीतर मचे घमासान, सरकार के भीतर के विवाद को पूरी तरह से कैश करने की तैयारी में हैं


बढ़ती जा रही है हरक सिंह रावत की नाराजगी


उधर, भाजपा के भीतर हो रहे झगड़ों के कारण पार्टी की किरकिरी हो रही है. पहले मंत्री हरक सिंह रावत को बोर्ड से हटाना और फिर अपने निकटस्थ शमशेर सिंह सत्याल को जिम्मेदारी देने से झगड़ा बढ़ गया है. सत्याल पहले से ही श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष हैं, अब उन्हें सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाये जाने से यह बात उठ रही है कि या तो इस जिम्मेदारी को ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए था जो अभी तक बगैर पद के है. इस बात लेकर मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी बरकरार है. सोमवार की सुबह कोटद्वार गए हरक सिंह अभी तक नहीं लौटे जबकि आज वन विभाग के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम पहले से ही निर्धारित था. कार्यक्रम में केवल मुख्यमंत्री आये और वन मंत्री हरक सिंह रावत नहीं आये. पिछले तीन दिन में यह दूसरी बार हुआ कि हरक सिंह अपने विभाग से जुड़े उस कार्यक्रम में नहीं गए, जिसमे मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि थे.


सरकारी की तरफ से सफाई


हालांकि मुख्यमंत्री के मीडिया कोर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने कहा कि मंत्री पौड़ी के जयहरीखाल में काफी दूर थे, इसलिए नहीं आ सके. सरकारी पक्ष कुछ भी कहे लेकिन नाराजगी सर्वविदित है. उधर जौलजीबी टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का घोटाला उठाने वाले भाजपा विधायक फर्त्याल ने कहा कि दो सांसदों अजय भट्ट और अजय टम्टा की समिति को उन्होंने जवाब दे दिया है.


उधर आज रायपुर से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ पहली बार बोले कि हाई कमान को इसलिए पत्र लिखा था सबके क्षेत्र में समान रूप से काम हो, मैंने अपनी बात पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को बता दी है, मीडिया में बोलना ठीक नहीं है. कुछ दिक्क्तें हैं, जिन्हें दूर किया जाना जरुरी है.

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