International Tiger Day 2024: देश और दुनिया में आज वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जा रहा है. इसी क्रम में उत्तराखंड में भी से काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. उत्तराखंड के अंदर बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो की बेहद खुशी की बात है, लेकिन धीरे-धीरे इंसानों के लिए यह खतरे का सबब बनती जा रही है.


केवल जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की बात करें तो यहां पर 300 से ज्यादा बाघ मौजूद हैं. कॉर्बेट पार्क को बाघों का प्रजनन केंद्र भी कहा जा सकता है, लेकिन इस सब में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉर्बेट पार्क की बाघों को लेकर धारण क्षमता कितनी है इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है.


बाघों को किया जाएगा शिफ्ट


कॉर्बेट पार्क की बाघों की धारण क्षमता 160 से 170 तक है, जबकि यहां बाघों की संख्या 300 के आस पास है. अब संतुलन बनाने के लिए उत्तराखंड वन महकमा कुछ नया करने की सोच रहा है. वन मंत्री सुबोध निहाल का कहना है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या क्षमता से अधिक हो चुकी है. ऐसे में हम सोच रहे हैं कि जिस तरह से पहले कुछ टाइगरों को कॉर्बेट पार्क से राजाजी नेशनल पार्क में शिफ्ट किया गया है, वैसे ही कुछ अन्य जगहों पर भी बाघों को भेजने का काम किया जाए ताकि प्रदेश में बाघों का संतुलन सीमित रहे. इसको लेकर वन महकमा अपनी तैयारी कर रहा है.


बढ़ रही है बाघों की तादाद


कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की तादाद लगातार बढ़ रही है. ऐसे में विभाग के सामने मुश्किलें भी बढ़ रही है. मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है. कॉर्बेट पार्क प्रशासन इसे कम करने के लिए एआई तकनीक का सहारा ले रहा है. निजी संस्था एआई तकनीक के कैमरे लगा रही है.


वन विभाग कर रहा शोध


कॉर्बेट पार्क में बाघों के संरक्षण की कवायद रंग ला रही है. बीते वर्षों में प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है. कॉर्बेट पार्क 160-170 बाघों के वास के लिए उपयुक्त माना जाता है. ऐसे में बढ़ती संख्या से बाघों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है. उनका आबादी की ओर रुख करना भी वन्यजीव विशेषज्ञों को चिंता में डाल रहा है. अमूमन बाघ हमेशा अकेले शिकार करते हैं, लेकिन कॉर्बेट पार्क में पिछले दिनों देखा गया कि ये झुंड में शिकार करते दिखाई दिए. बाघों के स्वभाव में बदलाव एक बड़ी बात है. इसको लेकर भी वन विभाग अपनी शोध कर रहा है.


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