रायबरेली. कोरोना काल में जहां एक तरफ लोग जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ रायबरेली का बेसिक शिक्षा विभाग आपदा में अवसर ढूंढ रहा था. ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमें कस्तूरबा गांधी विद्यालय के लिए आवंटित 63 लाख रुपए बिना प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड किए निकाल लिया गया. जैसे ही से गबन की जानकारी प्रदेश स्थानीय अधिकारियों को हुई तत्काल जांच के आदेश दे दिए. मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. मामले में डीसी बालिका विनय तिवारी की कार्यप्रणाली पूरी तरह संदेह के घेरे में है.
जांच के आदेश
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में बच्चियों के पठन-पाठन सहित खानपान के लिए शासन द्वारा धन बेसिक शिक्षा विभाग को आवंटित कराया जाता है. इस मद का धन जैसे बच्चियों की संख्या, दवाओं व अन्य चीजों की खरीदारी से संबंधित खर्च किया जाता है पहले उसकी जानकारी प्रेरणा एप पर अपलोड की जाती है. हालांकि विभाग द्वारा बीते 10 फरवरी 2021 से 31 मार्च 2021 के बीच की संपूर्ण जानकारी प्रेरणा अपलोड नहीं की गई और मैनुअली दिखाकर लगभग 63 लाख रुपए खाते से निकाल लिया गया. जैसे ही इसकी जानकारी प्रदेश स्तरीय अधिकारियों को हुई तो हड़कंप मच गया. जिसके बाद आनन-फानन में एक कमेटी बनाकर जांच बैठा दी गई.
प्रदेश में 18 जनपद ऐसे हैं जिसमें बिना प्रेरणा एप पर जानकारी अपलोड किए ही धन को निकाल लिया गया. जिसे विभाग गबन मान रहा है. वहीं जब बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रेरणा एप काम नहीं कर रहा था. इस दरमियान बालिकाओं के खानपान और भोजन पर लगभग 35 लाख रुपए खर्च किए गए तो वहीं दवाओं व सीसी के लिए लगभग 28 लाख रुपए का खर्च विभाग द्वारा दिखाया गया है.
कस्तूरबा गांधी विद्यालय में आए हुए धन की पूरी मॉनिटरिंग डीसी डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर विनय तिवारी करते हैं. 30 मार्च के बीच की पूरी जानकारी प्रेरणा एप पर अपलोड नहीं की गई. जबकि नियमत बच्चों की संख्या व सभी मदों का व्योरावार खर्च अपलोड किया जाना चाहिए.
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