गरीबों पर लुटाते हैं सैलरी, 11 सालों से जल संरक्षण पर कर रहे काम; जानें कैसे IPS मोदी बने 'जल गुरु'
उत्तर प्रदेश पुलिस में विशेष जांच विंग के चीफ डीजी महेंद्र मोदी पिछले 11 सालों से जल संरक्षण पर काम कर रहे हैं। अपने इस काम के चलते उन्हें विभाग और जनता में 'जल गुरू' के नाम से पहचाना जाता हैं। जानें, आईपीएस महेंद्र मोदी के बारे में सबकुछ।
लखनऊ, एबीपी गंगा। आज जब जल संरक्षण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से लेकर तमाम सामाजिक संगठन पानी की बर्बादी को रोकने के लिए तमाम योजनाएं और प्रोग्राम चला रहे हैं। लोगों को पानी की उपयोगिता समझाते हुए पानी के दुरुपयोग को रोकने का पाठ सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश पुलिस में एक ऐसे आईपीएस अफसर भी हैं, जो बीते 11 सालों से ना सिर्फ जल संरक्षण पर काम कर रहे हैं, बल्कि अब तक इतना काम कर चुके हैं कि उनको विभाग और जनता में 'जल गुरू' के नाम से पहचाना जाने लगा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस में विशेष जांच विंग के चीफ डीजी महेंद्र मोदी एक तरफ वर्दी पहनकर कानून की रक्षा करने में लगे हैं, तो वहीं दूसरी ओर मानव जीवन के लिए जरूरी जल संरक्षण पर बीते 11 सालों से लगातार काम कर रहे हैं।
बात साल 2008 की है। जब महेंद्र मोदी झांसी रेंज में डीआईजी बनकर गए। लोगों की समस्याओं को जानने की कोशिश की, तो पता चला बुंदेलखंड की जनता को अपराध और अपराधी से नहीं, पानी की किल्लत से ज्यादा बड़ी परेशानी है। बुंदेलखंड में पानी की किल्लत और पीने के पानी के लिए लोगों की जद्दोजहद को देखने के बाद महेंद्र मोदी ने जल संरक्षण पर काम करना शुरू किया।
बीते 11 सालों से महेंद्र मोदी अपनी तनख्वाह का 5 फीसदी खर्च कर 3272 कुएं, ट्रेंच, टैंक आदि बनवा चुके हैं। 15 राज्यों में जाकर लोगों को जल संरक्षण के गुर सिखा चुके हैं। वहीं, हर राज्य के लोग अब महेंद्र मोदी से खुद ट्रेनिंग लेने आने लगे हैं। महेंद्र मोदी का इन 11 सालों में जल संरक्षण पर किए गए काम के बाद दावा है कि अगर प्राकृतिक और मानव निर्मित तालाबों के डिजाइन में थोड़ा परिवर्तन किया जाए, तो हम बढ़ते तापमान में भाप बनकर उड़ने वाले पानी को 25 से 75 फीसदी बचा सकते हैं। महेंद्र मोदी ने अपने इस डिजाइन को झांसी की 33वीं वाहिनी पीएसी में तैयार किया और जिसको देखने के बाद अब लखनऊ जिला प्रशासन ने भी मोहनलालगंज में महेंद्र मोदी डिजाइन के तालाब खोदने को मंजूरी दे दी है।
उनका कहना है कि दूसरी ओर कच्चे और पक्के कुएं के आसपास ट्रेंच बनाकर भारी संख्या में नालियों में बह जाने वाले बारिश के पानी को प्राकृतिक तौर पर जमीन के अंदर तक पहुंचाया जा सकता है और इससे आसपास का जलस्तर भी उपर होगा। 2011 में हुई गणना से देशभर में 13 करोड़ 10 लाख हैंडपंप, कुएं, बोरवेल थे। अगर इन सभी पंप, कुएं और बोरवेल के आसपास प्राकृतिक सूखते गड्ढे तैयार कर लिए जाएं। लोग एक दिन के लिए एक घंटे का वक्त निकाल कर श्रमदान करें, रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर तैयार कर लें, 30 दिन के अंदर पूरे देश को पानीदार बनाया जा सकता है।