Isreal Hamas War:'कुछ लोग ऐसे युद्ध बढ़ना...', इजराइल-हमास युद्ध पर आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री का बड़ा बयान
Isreal Hamas War: दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग पर उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र घोषित करने से भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं होगा.
Isreal Hamas War: इजराइल हमास युद्ध को लेकर नई दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने बड़ा बयान दिया है. एटा के गुरुकुल में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने युद्ध की निंदा की और कहा कि सारी दुनिया जानती है वहां क्या हुआ? भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में इस तरह के युद्ध का कभी कोई स्थान नहीं रहा. मुझे नहीं लगता कि ऐसे युद्ध कभी हमारे देश में होंगे. कुछ लोग युद्ध की बढ़ना चाहते हैं तो सब लोगों को मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए.
विनय आर्य ने कहा कि सबको साथ लाना चाहिए, कोई पराया रहे ही न तो आपस में युद्ध के कारण नहीं रहेंगे. हिन्दू धर्म में सबका स्वागत है. भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग पर उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र घोषित करने से भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं होगा. हिंदुस्तान तो नाम ही है. हिन्दू राष्ट्र तो है ही, भले ही कोई ना स्वीकार करें. हिंदुस्तान है, हिन्दू राष्ट्र है इसलिए इसको हिन्दू राष्ट्र बनाना नहीं है. इसके जो मूल तत्व थे जिसके कारण ये दुनिया मे वैभव शाली राष्ट्र था वो तत्व लाने के लिये हमें ओर ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.
अंग्रेजी शिक्षा को लेकर कही ये बात
विनय आर्य ने कहा कि आधुनकि समय में हमारी सरकारों द्वारा अंग्रेजी को ज्यादा महत्व दिया गया पर अब देश मे प्राचीन परंपरा को वापस लाने का वातावरण बना है. कुछ संस्थाओं का उद्देश्य अपने धर्म को बच्चों के अंदर तक पहुंचाना होता है जबकि आर्य समाज ओर गुरुकुल शिक्षा का उद्देश्य है बच्चों का सर्वांगीण विकास कर उनको देश भक्त बनाना.
उन्होंने कहा कि आज देश भर में आर्य समाज के शिक्षण संस्थान एक टाइम मे एक करोड़ छात्रों का पढ़ाने का काम कर रहा है. आने वाले समय मे आर्य समाज शिक्षा का दायरा ओर बढ़ाएगा.
गुरुकुल परंपरा के कारण भारत बना विश्वगुरू
भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा के कारण भारत विश्व गुरु कहलाता था, बहुत सारे आक्रांता आये ओर उन्होंने इन परम्पराओं को समाप्त कर दिया जिससे भारत दरिद्र और अनपढ़ होता चला गया. वो लोग हमारे ऊपर हावी हो गए और हमें गुलाम बना लिया. उसके बाद अंग्रेज अपनी शिक्षा प्रणाली ले आये, पहले संस्कृति समाप्त कर फारसी लाये फिर फारसी समेत कर इंग्लिश लाये. दयानन्द सरस्वती ने इस स्थिति को समझा और भारत के पुराने वैभव को वापस लाने के लिये गुरुकुलीय शिक्षा पद्धिति की शुरुआत की.