बेंगलुरु, एजेंसी। भारत का चांद पर दूसरा महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 अब 22 जुलाई को दोपहर दो बजकर 43 मिनट पर रवाना होगा। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने यह जानकारी दी। तीन दिन पहले जीएसएलवी-एमके-थ्री रॉकेट में तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण रोक दिया गया था।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 15 जुलाई 2019 को तकनीकी गड़बड़ी के चलते रोक दिया गया था। अब उसका प्रक्षेपण सोमवार 22 जुलाई, 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर होगा।'


इसरो ने समर्थन के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसने "हमें (इसरो) आगे बढ़ने के लिये एक बार फिर प्रेरित किया।''

इसरो ने ट्वीट किया, 'अधिक से अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचना भौतिकी और विश्वास का हिस्सा है। हम पर अपार विश्वास दिखाने के लिए शुक्रिया।'

उसने लिखा, 'चंद्रयान-2 अरबों लोगों के सपने चांद पर ले जाने को तैयार है... जो अब पहले से ज्यादा मजबूत है। सोमवार 22 जुलाई 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर हमारे साथ जुड़ें।'

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक उस समस्या की गंभीरता का आकलन कर रहे थे, जिसकी वजह से 976 करोड़ रुपये की लागत वाले महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन को रोकना पड़ा था।

गौरतलब है कि 'बाहुबली' कहे जाने वाले जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट के जरिए चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट (14 जुलाई देर रात दो बजकर 51 मिनट) पर होना था। मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे इसे रोक दिया गया था।

इससे पहले इसे जनवरी के पहले सप्ताह में प्रक्षेपित करने का निर्णय भी लिया गया था, जिसे बाद में 15 जुलाई के लिए टाल दिया गया। इस 3,850 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था।

इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर उतरने में 54 दिन लगेंगे। इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा। इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक काम करता रहा।