प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को एक आदेश में कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अगर लंबे समय तक चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती है तो कर्मचारी का प्रमोशन रोकना गलत है. कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने में देरी कर्मचारी की वजह से नहीं है तो उसे तदर्थ प्रमोशन दे देना चाहिए. बतादें कि ये आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने बरेली में तैनात पुलिस कॉन्स्टेबल मनोज कुमार सिंह की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि कॉन्स्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल पद पर उसके प्रमोशन को वर्ष 2018 में इस आधार पर रोक दिया गया था कि उसके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज है.


याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता के वकील विजय गौतम ने अदालत को बताया कि मुकदमा दर्ज हुए एक साल से अधिक बीत चुका है. क्रिमिनल केस में पुलिस ने अभी तक कोई चार्ज शीट दाखिल नहीं किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत सरकार बनाम के वी जानकी रमन केस का हवाला भी दिया. अधिवक्ता ने कहा कि यदि याची की कोई गलती नहीं है और एक साल बीत जाने के बाद भी मुकदमा में चार्जशीट दाखिल नहीं किया जाता है तो कर्मचारी प्रमोशन पाने का हकदार है. उसका प्रमोशन नहीं रोका जा सकता है. इसके अलावा प्रदेश सरकार के एक शासनादेश का भी हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया है कि चार्जशीट आने के एक साल बाद तदर्थ प्रमोशन दे देना चाहिए.


अदालत ने क्या कहा?
वहीं, अदालत ने याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि यह तथ्य का प्रश्न है कि चार्जशीट दाखिल न हो सकने में याची का दोष था अथवा नहीं. साथ ही दूसरा ये भी है कि इसी कारण से उसका प्रमोशन रोका गया कि नहीं. इस कारण अदालत ने अधिकारियों को निर्देश निर्देश दिया कि वह याची के प्रमोशन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसला तथा तदर्थ प्रमोशन को लेकर सरकार के शासनादेश में निर्णय ले. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी इस मामले में आदेश प्राप्ति की तिथि से चार माह के भीतर फैसला लेकर आदेश जारी करे.


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