कोरोना के चलते देशभर लॉकडाउन जारी है। तो वहीं मनोरंजन जगत के कई कलाकार सोशल मीडिया से जुड़ कर अपने-अपने बारे में बताते दिख रहे हैं कि कैसे वो अपना घर में समय बिता रहे हैं। तो वहीं अपनी इस स्टोरी में हम आपको पुराने किस्सों से रूबरू करवा रहे हैं। आज बात करते हैं जगजीत सिंह की।
जालंधर का डीएवी कॉलेज उन दिनों जालंधर टाउनशिप के बाहर हुआ करता था और उसका नया हॉस्टल कॉलेज के सामने की सड़क के उस पार था। जगजीत सिंह इसी हॉस्टल में रहते थे। लड़के उनके आसपास के कमरों में रहना पसंद नहीं करते थे क्योंकि जगजीत सिंह सुबह पांच बजे उठ कर दो घंटे रियाज करते थे। वह न खुद सोते थे, न बगल में रहने वाले लड़कों को सोने देते थे।
जगजीत सिंह से जुड़ा एक किस्सा आपको बताते हैं जब एक बार सुभाष घई और जगजीत सिंह अपने अपने विश्वविद्यालयों की तरफ से एक अंतर राज्य महाविद्यालय युवा उत्सव में भाग लेने बेंगलुरु गए थे। रात 11 बजे जगजीत का नंबर आया। माइक पर जब उद्घोषक ने घोषणा की कि पंजाब यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी शास्त्रीय संगीत गाएगा तो वहाँ मौजूद लोग जोर से हंस पड़े, क्योंकि उनकी नजर में पंजाब तो भंगड़ा के लिए जाना जाता था।'
इसके बाद साल 1979 में जगजीत का रिकॉर्ड 'कम अलाइव' आया। इसमें कई चीजें नई थीं, मसलन कंसर्ट की लाइव रिकॉर्डिंग, गजल सुनाते-सुनाते जगजीत की सुनने वालों से बातचीत और बीच-बीच में चुटकुले। हैवी गजल सुनाने के बाद लोगों को फिर से पुराने मूड में लाना होता है। ये उन्होंने बहुत जल्दी महसूस कर लिया था कि ऑडियंस को साथ लेकर चलना होता है।'