Jalaun Police: कर्मचारी को नौकरी (Job) से त्यागपत्र (Resignation) देने का पूरा अधिकार है, इच्छा विरुद्ध काम करने के लिए कोई भी किसी को मजबूर नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की गाइडलाइंस ऐसा कहती है. लेकिन, जालौन (Jalaun) में मामला बिलकुल अलग है. जालौन के उरई मुख्यालय कोतवाली के इंस्पेक्टर (Inspector) की हिटलर शाही सामने आई है. इंस्पेक्टर की हरकतों से तंग आकर एक सिपाही ने अपना त्यागपत्र अधिकारियों को सौंप दिया. वहीं, कोतवाली में तैनात सिपाही (Constable) के इस्तीफे से पुलिस विभाग (Police Department) में खलबली मच गई है. पुलिस पूरे मामले को गंभीरता से लेकर जांच कर रही है.
जांच कमेटी गठित की गई
उरई कोतवाली अपने कारनामों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती है. उरई कोतवाली के कोतवाल विनोद पांडेय की कार्यशैली से प्रताड़ित होकर ग्रेड 'ए' कम्प्यूटर ऑपरेटर अरविंद किशोर ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है. लेकिन, उल्टा त्यागपत्र देने वाले पुलिसकर्मी के लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई है. हालंकि, इसके पहले भी कई बार ऑपरेटर अरविंद किशोर ने कोतवाल विनोद पांडेय की शिकायत उच्च अधिकारियों से की थी लेकिन मामला डिपार्टमेंटल होने की वजह से कार्रवाई शून्य रही.
परेशान होकर दिया त्यागपत्र
बता दें कि, इस समय उरई कोतवाल की हिटलर शाही चर्चा का विषय बनी हुई है. कोतवाल के द्वारा सिपाही पर उत्पीड़न इस कदर हावी हुआ कि उसने अपना त्यागपत्र दे डाला. सिपाही अरविंद किशोर (कम्प्यूटर ऑपरेटर) 2014 बैच की वर्तमान तैनाती उरई कोतवाली में है. सिपाही ने आरोप लगाया है कि सन 2019 ने कोतवाल विनोद पांडेय आरक्षी को प्रताड़ित कर रहे हैं.
की जा रही है जांच
पीड़ित सिपाही कम्प्यूटर ऑपरेटर अरविंद किशोर ने त्यागपत्र के जरिए बताया कि ''2019 के लोकसभा चुनाव में विनोद पांडेय चुनाव सेल प्रभारी थे और उसकी भी पोस्टिंग वहीं पर थी. किसी बात को लेकर एसएचओ से कहासुनी हो गई, तभी से वो मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं.'' वहीं, पुलिस अधीक्षक जालौन रवि कुमार ने पूरे मामले में पुलिस की छवि को बचाते हुए ये कह दिया कि अभी मामला उनके सामने नहीं आया है. जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार कार्रवाई की जाएगी.
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