Jalaun News: यूपी के जालौन में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, कूड़ेदान में फेंक दी दवाइयों की पेटियां
Jalaun Government Hospital News: उत्तर प्रदेश के जालौन के कुठौंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बिना एक्सपायरी की बड़ी संख्या में सीरप कूड़ेदान में फेंके जाने का मामला सामने आया है.
Jalaun News: उत्तर प्रदेश के जालौन (Jalaun) में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां बिना एक्सपायरी की जहां सरकारी दवाइयां कूड़े के ढेर में फेंकी जा रही है. लोगों की निगाह जब इन दवाइयों पर पड़ी तो, इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो के वायरल होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब कार्रवाई की बात कर रहे हैं.
पूरा मामला, जालौन के कुठौंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हैं. यहां पर बिना एक्सपायरी की बड़ी संख्या में सीरप कूड़ेदान में फेंके जाने का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कीमती दवाओं को कूड़ेदान में फेंका जा रहा है. कस्बा कुठौंद में मुख्य बाजार स्टैंड पर दवाओं को कूड़ेदान में देखकर लोगों के होश उड़ गए. कूड़ेदान में दवाओं को फेंके जाने से अस्पताल प्रशासन की बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है.
दवाइयों पर दर्ज है 05/2023 की एक्सपायरी
कूड़ेदान में जो दवाइयां मिलीं हैं, उन दवाइयों पर 05/2023 की एक्सपायरी दर्ज है. हालांकि, मामले की जानकारी होने के बाद भी सीएचसी अधीक्षक ने मौके पर जाना उचित नहीं समझा. बस सीसीटीवी कैमरे चेक करने की बात कही. आपको बताते चलें कि अस्पतालों में दवाओं की कोई कमी नहीं है.
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक यूपी की जनता के स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कोई कमी न हो, इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. लिहाजा, सरकार की ओर से करोड़ों रुपये की दवा सरकारी अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में दी जा रही हैं. जहां ज्यादातर गरीब लोग चेकअप के लिए जाते हैं. यह दवाइयां गरीबों को मुफ्त में मिलनी चाहिए, लेकिन गरीब जनता तक दवाएं बहुत कम ही पहुंच पाती हैं और दूसरी तरफ इस तरह से दवाओं को कूड़े के ढेर में फेंका जा रहा है.
सीएमओ ने जांच का दिया भरोसा
वहीं, पूरे मामले में सीएमओ एनडी शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि वीडियो के माध्यम से उन्हें इस बात की जानकारी हुई है. इसकी जांच कराई जा रही है. कूड़े में दवाएं कैसे पहुंचीं इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है. अगर कोई कर्मचारी इसमें लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और दवा की कीमत उसके वेतन से काटा जाएगा.