जालौन। पूरा उत्तर भारत इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है. उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी ने कहर बरपा रखा है. इस समय नौतपा चल रहा है. नौतपा का मतलब है कि इन 9 दिनों में सूरज की आग अपने चरम पर होती है. गर्मी तो बढ़ी है लेकिन उत्तर प्रदेश के जालौन में कुम्हारों पर लॉकडाउन की बड़ी मार पड़ी है. बुंदेलखंड में पारा 44 डिग्री के पार है. इस गर्मी में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ जाती है लेकिन, लॉकडाउन की वजह से उनके अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की कमर टूट गई है. गर्मियों के सीजन में बुंदेलखंड में मिट्टी के बर्तनों की भारी डिमांड रहती है. लेकिन, लॉकडाउन के चलते इनके सामने अब रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसी सीजन में मिट्टी के घड़े, सुराही और शीतल पेय पदार्थों के लिए कुल्लड़ बनाकर यह अपना व्यापार करते थे. जोकि लगभग गर्मियों की शुरुआत से बारिश के मौसम तक चलता था. लेकिन लॉकडाउन को लगभग 2 महीने पूरे हो चुके हैं और इस वजह से कुम्हारों का धंधा भी पूरी तरह से चौपट हो गया है.
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों ने बताया कि गर्मियों की सीजन में व्यापार ठीक-ठाक हो जाता है उसी कमाई से परिवार का भरण पोषण पूरे साल भर करते हैं. लेकिन, इस बार कोरोना की मार ने लोगों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. न तो मिट्टी के बर्तन बिक पा रहे हैं और न ही सरकार की तरफ से किसी तरह की मदद मिल पा रही है. मिट्टी के घड़े बेचने वाली विमला देवी ने बताया उनके परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. होली के बाद से माल मंगाकर रखा है लेकिन ग्राहक नहीं हैं. नवरात्र में घड़ों की बिक्री कोरोना की वजह से लॉकडाउन ने चौपट कर दी. अब इस गर्मी में भी ग्राहक नहीं है.
गौरतलब है कि, बुंदेलखंड में गर्मी कुछ ज्यादा ही पड़ती है और अधिकतर लोग मिट्टी के घड़े का ही पानी पीते हैं. घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर माना जाता हैं लेकिन इस बार इन मिट्टी के मटकों पर कोरोना कहर बनकर टूटा है. लोग बाहर निकल नहीं रहे हैं, जिसकी वजह से व्यापार भी पूरी तरह से लॉकडाउन हो गया है.