जालौन: 'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता जरा एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों'. जी हां इस कहावत को जालौन के उरई में रहने बाले ऋषभ माहेश्वरी ने महज 6 साल की उम्र में ही साबित कर दिया. छोटी सी उम्र में उन्होंने अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है. ऋषभ को गणित के 1 से लेकर 100 तक के स्क्वायर मुंह जुबानी याद हैं और ये बोर्ड पर भी बिना कोई कैलकुलेशन किए पूरे स्क्वायर को लिख सकते हैं. 1 से 100 तक के स्क्वायर को महज 4 मिनट 10 सेकेंड में सुनाने की विलक्षण प्रतिभा के चलते ऋषभ को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने मेडल और प्रशस्ति पत्र से नवाजा है.


लॉकडाउन में समझीं बारीकियां
एक ओर जहां पूरा देश कोरोनो जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा था. स्कूल और कॉलेज सब बंद थे, ऐसे समय मे ऋषभ ने घर पर ही रहकर गणित की बारीकियां समझते हुए उसमे नए-नए प्रयोग कर रहा था. परिणाम आज सुखद है और ऋषभ ने विलक्षण प्रतिभा के चलते अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है.


आईपीएस ऑफिसर बनने का है सपना
ऋषभ महज 6 साल के हैं. उनके पिता एक साधारण सी ज्वेलरी शॉप चलाते हैं, मां ग्रहणी हैं. माता-पिता और अपनी बड़ी बहन के सहयोग के चलते ऋषभ ने लॉकडाउन में घर पर रहकर पढ़ाई की और गणित में रुचि होने की वजह से इतनी कम उम्र में अपना और परिवार का नाम रोशन किया है. ऋषभ बड़ा होकर आईपीएस ऑफिसर बनना चाहता है. ऋषभ अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और अपनी होम ट्यूटर को देते हैं.


परिवार ने किया सपोर्ट
ऋषभ के पिता नवनीत ने बताया कि ऋषभ का मेंटल आईक्यू लेवल बहुत हाई है और वो गणित के साथ-साथ अन्य विषयों में भी होशियार है. उसकी गणित में अधिक रुचि होने के चलते सभी ने उसको सपोर्ट किया. ऋषभ गणित में नए प्रयोग करता है. 1 से 100 तक के स्क्वायर उसको कंठस्थ हैं. रिवर्स, फॉरवर्ड और रेंडम किसी तरीके से पूछने पर तुरंत उत्तर देता है. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के ऑनलाइन एग्जाम में उसने सफलता पाई.


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