UP News: उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराए जाने को जमीयत उलेमा ए हिन्द यूपी के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की आत्मा की रक्षा की है. हाई कोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह मदरसों को बन्द करा रहे थे और मदरसा एक्ट को गैर संवैधानिक बता दिया था वह गलत था. उन्होंने कहा कि इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान में दिए गए अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की है.
मौलाना काब रशीदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने जिला अधिकारियों के माध्यम से मदरसा संचालकों को नोटिस भेज कर परेशान कर रही थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है और अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है. सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान में दिए गए अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर मदरसा शिक्षा के स्तर को और सुधारना चाहती है तो इसके लिए मदरसा संचालकों से बैठकर बात करे. हम आधुनिक शिक्षा के विरोधी नहीं है लेकिन इसके लिए सरकार हमें संसाधन मुहैय्या कराए धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ मदरसों में आधुनिक शिक्षा भी हो इस पर बैठकर बात करने के लिए हम तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जमीयत उलमाए हिंद स्वागत करता है. संविधान में धर्म की आजादी के तहत देश के अल्पसंख्यकों को अपने धर्म के प्रचार प्रसार और शैक्षिक संस्थान संचालित करने का अधिकार दिया गया है. मदरसे मूल रूप से धार्मिक शिक्षा देने के केंद्र होते हैं यह धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र हैं.
उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने मदरसा बोर्ड की वैधता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है कि मदरसा एक्ट संविधान के अनुसार और अनुकूल है. आप इस बोर्ड की वैधता को चुनौती नहीं दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस से 16 हजार मदरसों को नया जीवन मिला है और लगभग 17 लाख बच्चे जो शिक्षा ले रहे थे उनका भविष्य उज्जवल हुआ है. हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं और इससे न्यायालय में आस्था रखने वालों को उम्मीद जागेगी और वह भविष्य में देश के लिए और बेहतर कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
उन्होंने कहा कि ये सभी मदरसे वह थे जो सरकार के मान्यता प्राप्त बोर्ड से जुड़े हुए हैं. इस पर यूपी सरकार की मंशा दूसरी थी अगर वह चाहती तो हाईकोर्ट में भी वह बात कह सकती थी जो अब सुप्रीम कोर्ट में कही है. सरकार अलग-अलग बहानों से मदरसों को बंद करने के लिए नोटिस दे रही थी. उस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी आज का फैसला सुप्रीम कोर्ट का बहुत ही स्वागत योग्य है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और सरकार को अगर मदरसों के उद्धार के लिए कोई बात करनी है तो वह बैठकर बात करें. हम मदरसों में और बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए तैयार हैं.
राज्य सरकारों की कार्रवाई हास्यस्पद
मौलाना रशीदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले यह बताते हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता हमारे संविधान की आत्मा है. राज्य सरकारों की कार्रवाई हास्यस्पद है. यह एक मानसिकता के तहत मदरसों को निशाना बनाते हैं. आसाम के मुख्यमंत्री जैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं कोई भी संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद मदरसों पर तरह-तरह के आरोप लगाने वालों पर लगाम लगेगी.
'यूपी उपचुनाव के बाद CM योगी का हटना तय', अखिलेश यादव के विधायक का दावा बढ़ाएगा सियासी पारा