Jaunpur News Today: उत्तर प्रदेश की जौनपुर सिविल कोर्ट में सोमवार (16 दिसंबर) को अटाला मस्जिद की पैमाइश पर फैसला नहीं हो सका. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए सिविल कोर्ट ने अब सुनवाई की अगली तारीख 2 मार्च तय की है. अटाला मस्जिद मामले पर आज यानी सोमवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन अब सुनवाई टाल दी गई है.
दरअसल, जौनपुर की ऐतिहासिक अटाला मस्जिद को लेकर एक संस्था ने यहां अटला देवी मंदिर होने का दावा किया है. इससे पहले अटाला मस्जिद अमीन जांच करने पहुंचा था. हालांकि तब बताया गया था कि अमीन सर्वे के लिए नहीं बल्कि पैमाइश के लिए गया था, लेकिन किसी वजह से पैमाइश नहीं हो पाई थी.
इसके बाद एक बार फिर से हिंदू पक्ष ने कोर्ट से अपील की है. जिसमें कोर्ट से मांग की गई है कि मौके का मौजूद फोर्स (पुलिस बल) के साथ पैमाइश कराई जाए. इसी पर आज अदालत को ये तय करना था कि कौन सा अमीन और राजस्व की टीम मौके पर जाएगी. इसके अलावा पुलिस फोर्स में कौन लोग शामिल रहें और कब ये होगा.
दोनों पक्षों ने कोर्ट में दिया ये तर्क
दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का हवाला देते हुए किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की है. इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज ने अगली तारीख 2 मार्च तय की है. इस संबंध में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने बताया कि अटाला मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही अदालत में चल रहा है, इसलिए ये फैसला इस पर प्रभावी नहीं होगा.
अटाला मस्जिद का इतिहास
अटाला मस्जिद का निर्माण 1408 ईस्वी में इब्राहीम शाह शर्की ने किया था. यह मस्जिद जौनपुर में स्थित है और इसे उस समय की अन्य मस्जिदों के निर्माण के लिए आदर्श माना जाता है. यह मस्जिद 100 फीट से अधिक ऊंची है और इसके निर्माण की शुरुआत 1393 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल में हुई थी. अटाला मस्जिद का वास्तुकला और निर्माण शैली उस समय के इस्लामी स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है.
विवाद की वजह?
हिंदू पक्ष का कहना है कि अटाला मस्जिद असल में एक प्राचीन हिंदू मंदिर 'अटाला देवी मंदिर' का हिस्सा है, जिसे 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने बनवाया था. हिंदू पक्ष के अनुसार, फिरोज तुगलक के शासनकाल में मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया गया.
हिंदू पक्ष ने इस मुद्दे पर अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें मस्जिद को 'अटाला देवी मंदिर' के रूप में मान्यता देने और वहां पूजा-अर्चना का अधिकार देने की मांग की गई है. यह याचिका स्वराज वाहिनी एसोसिएशन (एसवीए) के प्रतिनिधि संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर की सिविल कोर्ट में दायर की है. इससे पहले सुनवाई 10 दिसंबर 2024 को हुई थी और कोर्ट ने 2 जुलाई को पैमाइश के आदेश दिए थे.
मस्जिद कमेटी ने हिंदू पक्ष के दावे को कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि एसवीए सोसायटी के नियम इस तरह के मामलों में शामिल होने की इजाजत नहीं देते. इसके अलावा मस्जिद का हमेशा से ही इस्लामी पूजा स्थल के रूप में इस्तेमाल किया गया है और 1398 ईस्वी में इसके निर्माण के बाद से ही मुस्लिम समुदाय यहां नियमित रूप से नमाज अदा करता आ रहा है.
अलेक्जेंडर कनिंघम का दावा
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट में अटाला मस्जिद को अटाला देवी मंदिर बताया था. अलेक्जेंडर कनिंघम ने दावा किया था कि इस मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद राठौर कराया था.
इस मामले में जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य माना है, जबकि मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. मस्जिद कमेटी का कहना है कि इस मामले में कोई कानूनी आधार नहीं है और यह मस्जिद हमेशा से ही मुस्लिम पूजा स्थल के रूप में प्रयोग होती रही है.
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