जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पिलकिछा गांव को कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले रखा है. एक माहीने में सर्दी, बुखार और सांस लेने की दिक्कत के चलते 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. किसी परिवार के तीन तो किसी के दो लोग मौत की आगोश में चले गए हैं. लगातार हो रही मौतों के चलते गांव में दहशत भरा मातम पसरा है. 


दहशत में हैं लोग 
जौनपुर जिले के पश्चिमी छोर से गुजर रहे प्रयागराज-आजमगढ़ मार्ग पर गोमती नदी के तट पर बसे पिलकिछा गांव पर अप्रैल माहीने से मौत का साया मंडरा रहा है. इस गांव में प्रतिदिन किसी ना किसी की जान जा रही है. मरने वालो को अधिकतर सर्दी, बुखार और सांस लेने की दिक्कत थी. लगातार हो रही मौतों से गांव के चौराहे पर गुलजार रहने वाली चाय, पान और अन्य दुकानों पर ताला लटक गया है. पूरा इलाका दहशत के साए में है. 


लगातार हो रही हैं मौतें 
गांव के भवानी प्रसाद शर्मा के बड़े भाई 70 वर्षीय प्रेमसागर शर्मा का कोविड के चलते एक अप्रैल को लखनऊ में निधन हो गया था. उनके निधन की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. इसके बाद भवानी प्रसाद शर्मा की पत्नी गीता शर्मा की हालत बिगड़ गई. भवानी प्रसाद शर्मा की पत्नी को इलाज के लिए खुटहन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शाहगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जौनपुर जिला अस्पताल तक ले गए. लेकिन, उनका इलाज नहीं हो पाया और ना ही कोरोना की जांच हुई. थक हारकर भवानी अपनी पत्नी को घर ले आए. 17 अप्रैल को घर पर ही उनकी मौत हो गई. भवानी शर्मा के घर में मरने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. 29 अप्रैल को इसी परिवार की बहू रागिनी शर्मा की जान भी कोरोना ने ले ली.


इस गांव के किसान सुरेंद्र यादव ने भी जिला अस्पताल में बने कोविंड एल 2 अस्पताल में 16 अप्रैल को दम तोड़ दिया था. अभी सुरेंद्र की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी दूसरे दिन उनके छोटे भाई की पत्नी रेनू यादव की कोरोना के चलते अमेठी जिले में मौत हो गई. रेनू वहां पर प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापिका थीं. उनकी चुनाव में ड्यूटी लगी थी. रेनू ने 12 अप्रैल को चुनाव संपन्न कराने के लिए ट्रेनिंग ली थी, इसके बाद से उनकी तबीयत खराब हो गई. 17 अप्रैल को रेनू जिंदगी की जंग हार गईं. 


जन जागरूकता नहीं फैलाई गई
इसी तरह इस गांव में एक-एक करके एक अप्रैल से लेकर अब तक 31 लोग सर्दी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने और कुछ लोग अन्य बीमारियों के चलते काल के गाल में समा गए. आरोप है कि जो लोग दूसरी बीमारी के चलते मरे उन्हें अस्पतालों में इलाज नहीं मिल सका. लगातार हो रही मौतों के बाद भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा खुद आइसोलेट नजर आ रहा है. स्थानीय निवासी ब्रजेश शर्मा का आरोप है कि उनके गांव में कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं. इसके बाद भी प्रशासन ने गांव को सैनिटाइजेशन नहीं कराया. ना साफ सफाई हुई और ना ही जन जागरूकता फैलाई गई.


एसडीएम शाहगंज की अध्यक्षता में हुई थी मीटिंग
मामले पर खुटहन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी मेडिकल ऑफिसर ने बताया कि पिलकिछा गांव में हुई मौतों के बाद एसडीएम शाहगंज की अध्यक्षता में मीटिंग की गई थी. इसमें सभी आशा संगिनियों को गांव में जाकर सर्दी, बुखार और सांस फूलने के रोगियों को दवा देना, साथ ही चेकअप कराने और साफ-सफाई कराने का आदेश दिया गया है. ये कार्य बीडीओ के निर्देशन में कराया जा रहा है. मौतों की संख्या के बारे में बताया कि अखबारों के माध्यम से पता चला है कि तकरीबन 25 मौतें हुई हैं.  


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