जयंत चौधरी ने तोड़ी 47 साल की ‘परंपरा’, याद आए पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और अजीत सिंह
UP Politics: आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी अब एनडीए का हिस्सा हैं और गठबंधन में उन्हें दो सीटें मिली हैं, जिसपर उन्होंने प्रत्याशी का एलान कर दिया है. लेकिन अब 47 साल की परंपरा टूट गई है.
Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के साथ हाल ही में गठबंधन में शामिल हुई, राष्ट्रीय लोकदल ने भी दो लोकसभा और एक विधान परिषद सीट के अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. आरएलडी ने अपने प्रत्याशियों का एलान सोशल मीडिया के जरिए किया है. पार्टी अब दस साल बात बीजेपी के साथ चुनाव लड़ रही है और जयंत चौधरी का परिवार करीब 60 सालों से राजनीति में सक्रिय रहा है. ऐसे में उनके परिवार का चुनावी इतिहास खंगाला जा रहा है.
दरअसल, जयंत चौधरी के परिवार के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो हम देखेंगे कि यह पहला मौका है जब चौधरी परिवार से कोई चुनाव मैदान में नहीं है. पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह 1977 से लगातार लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं. इसके बाद जब 1986 में चौधरी चरण सिंह बिमार हुए तो अपनी राजनीति विरासत को बढ़ाने की जिम्मेदारी बेटे अजीत चौधरी को दे दी.
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पिता की विरासत को अजीत चौधरी बढ़ाया आगे
अजीत चौधरी ने पहली बार 1989 में बागपत से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने. इसके बाद पिता की राजनीतिक विरासत को अजीत चौधरी आगे बढ़ाते रहे. 1989 से लेकर 2009 तक अजीत चौधरी ने हर लोकसभा चुनाव लड़े और हर बार चुनाव जीता था. इस बीच उन्हें केवल एक बार केवल 1998 का लोकसभा चुनाव इस सीट पर हार गए.
लेकिन इसके बाद 2009 में अजीत चौधरी के बेटे जयंत चौधरी भी परिवार की विरासत को बढ़ाने के लिए आगे आए. तब अजीत चौधरी और जयंत चौधरी दोनों ने 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. जयंत चौधरी ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन बीते दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.
अब वह एनडीए के साथ हैं और आरएलडी ने अपने कोटे की दो लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है. ऐसे में बीते 47 सालों के दौरान चौधरी परिवार के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो ये पहला मौका है जब परिवार से कोई प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है. आरएलडी प्रमुख ने इस बार पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है, इस वजह से पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और अजीत सिंह को याद किया जा रहा है.