Atiq Ahmad Shot Dead: उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाला मामला प्रयागराज का राजूपाल हत्या कांड (Raju Pal Murder Case) एक बार फिर सुर्खियों में है. राजू पाल हत्या कांड में पुलिस की तरफ से उस समय के चौथे जांच अधिकारी रहे झांसी के चुरारा गांव  निवासी रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर नारायण सिंह ने राजूपाल हत्या कांड को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. मऊरानीपुर तहसील के चुरारा गांव निवासी नारायण सिंह ने बताया कि जब राजूपाल की हत्या के मुकदमे की जांच उनको मिली तब तक उस मामले में एक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो चुकी थी और पूरे मामले में तीन पुलिस के अधिकारियों द्वारा जांच की गई थी, लेकिन जांच करने वाले पुलिस के अधिकारियों ने एफआईआर में दर्ज मुजरिम को जांच में से निकालने का ही काम किया जबकि राजू पाल की हत्या में कई लोग शामिल थे. 


जांच करते करते नारायण सिंह ने राजूपाल की हत्या से जुड़े अहम सबूत और हत्या में शामिल लोगों की भूमिका की जांच शुरू की तब तक नारायण सिंह को नेताओं और सांसद अतीक अहमद के लोगों से धमकियां मिलने लगीं और मुजरिम को जांच में से निकालने के लिए दवाब बनाया जाने लगा और कई बार पाकिस्तान के नम्बरों से भी इनके पास फोन आये. सबसे ज्यादा दबाव गुड्डू बमबाज और अब्दुल कवि को निकालने के लिए बनाया जाने लगा, लेकिन जब नारायण  सिंह नहीं माने तो पैसे के प्रलोभन में इनको खरीदने की कोशिश की, लेकिन नारायण सिंह, अतीक अहमद और उसके गुर्गों के आगे नहीं झुके. नारायण सिंह ने तबके सांसद अतीक अहमद पर गैंगस्टर की कार्रवाई कराई थी. यहां तक कि 14 वन की कार्रवाई में अतीक अहमद की 200 करोड़ की संपत्ति अटैच की थी.


मिली अतीक मामले की पहली जांच
इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर नारायण सिंह परिहार ने प्रयागराज जिले में बतौर दरोगा पहला चार्ज मेजा थाने का साल 2006-2007 में लिया था. तीन महीने बाद  दरोगा नारायण सिंह परिहार को सराय ममरेश का थानाध्यक्ष बनाया गया. सराय ममरेश थाने में छह माह के कार्यकाल के बाद नारायण का तबादला सिविल लाइन थाने में बतौर एसआई के तौर पर कर दिया गया, फिर क्या था सिविल लाइन थाने में तैनाती के दौरान नारायण सिंह परिहार को अतीक के मामले में पहली जांच मिली. 


वादी मुकदमा सईद अहमद की जमीन पर सांसद अतीक के अवैध कब्जे का मामला था. सांसद अतीक अहमद ने 28 दुकानें आठ सौ वर्ग मीटर में बनाकर कब्जा कर लिया था. साल 2007 में 25 सौ वर्ग मीटर में बनी दुकानों को सांसद अतीक ने गुंडई की दम पर जैन बंधुओ को बेचकर एक करोड़ बैंक ड्राफ्ट और चेक अपने खाते में ट्रांसफर करवा कर भुगतान भी निकाल लिया था, जबकि दुकानों के बिकने से मिलने वाला पैसा सईद अहमद को मिलना चाहिए था. 


तीसरी जांच राजू पाल मर्डर की मिली
इसी मामले में अतीक पर मुकदमा दर्ज किया गया था. सिविल लाइन थाने में सईद अहमद की तहरीर पर इसी मामले में हाई कोर्ट ने तीन बार अतीक की बेल भी कैंसिल की. नारायण सिंह परिहार प्रयागराज में साल 2006 से 2011 तक रहे थे. पहला चार्ज थाना मेजा का, दूसरा चार्ज सराय ममरेश, तीसरा चार्ज शाहगंज थानाध्यक्ष, चौथा चार्ज थानाध्यक्ष करैली, पांचवा चार्ज थानाध्यक्ष कीटगंज का रहा.  नारायण परिहार को तीसरी विवेचना राजू पाल हत्याकांड की मिली, जिसमें सात और नए मुलजिम प्रकाश में आए थे, जिनमें अब्दुल कवि और गुड्डू मुस्लिम भी शामिल था. 


इससे पहले अब्दुल कवि को पूर्व विवेचक द्वारा यह कहकर कि इस नाम और पते का कोई व्यक्ति नहीं है सांसद अतीक अहमद के प्रभाव में राजू पाल हत्याकांड से बाहर कर दिया गया था. अतीक के छह मुकदमों की जांच करने वाले नारायण परिहार का दावा है कि साल 2004 दिसंबर माह में पूर्व विधायक राजू पाल पर अतीक के गुर्गों ने अतीक के भाई के साथ मिलकर जानलेवा हमला किया था. इस मामले की दोबारा जांच होने पर माफिया अशरफ के गुनाहों का लंबा चिट्ठा खुलकर सामने आएगा.


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