स्थापना की 83वीं वर्षगांठ मना रहा है जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, 1819 तक गढ़वाल के राजा की था सम्पत्ति
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना आज ही के दिन हुई थी। सन् 1819 तक यह टिहरी गढ़वाल के राजा की सम्पत्ति थी। 1955 में जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद उनकी याद में 1957 में भारत सरकार ने इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया था।
देहरादून, एबीपी गंगा। एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान कॉर्बेट नेशनल पार्क आज अपनी स्थापना की 83वीं वर्षगांठ मना रहा है। 8 अगस्त को अस्तित्व में आये इस पार्क के गठन में जिम कॉर्बेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए उनकी याद में इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया। जो अब टाइगर्स के लिए विश्वविख्यात कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के नाम से भी प्रसिद्ध है।
अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाने वाला कॉर्बेट नेशनल पार्क सन् 1819 तक टिहरी गढ़वाल के राजा की सम्पत्ति थी। जिसे 1820 में उन्होने अंग्रेजों को दे दिया। 1858 में पहली बार रैमजे ने इसके संरक्षण की योजना बनाई। उसके बाद 1868 में पहली बार वन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई। 1879 में इसे आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया।
सन् 1934 में तत्कालीन गवर्नर सर मैल्कम हैली इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने की सफारिश ब्रिटिश सरकार से की। तब जिम कॉर्बेट ने इसकी सीमाओं के निर्धारण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1936 में 323.75 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में बना हैली नेशनल पार्क आजादी के बाद रामगंगा नेशनल पार्क के नाम से जाना जाने लगा।
1955 में जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद इस महान व्यक्तित्व की याद में 1957 में भारत सरकार ने इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया। 1966 में इस पार्क का क्षेत्रफल बढाकर 520.8 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया। 2010 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को 1288 वर्ग किलोमीटर में नोटिफाइड किया गया है।