Uttarakhand Landslide News: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-स्खलन (Landslide) की वजह से दिन प्रतिदिन हालात बद से बदतर होती जा रहीं है. ऐसा लग रहा मानो पूरा जोशीमठ (Joshimath) शहर ही जमीजोद होने जा रहा है. जोशीमठ में लोग रात में खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं. लोगों को किसी भी समय अनहोनी का डर सता रहा है. विगत कुछ दिनो में इतना कुछ हो रहा कि लोगों की दिन की चैन और रातों की नींद उड़ी हुई है. 22 हजार आबादी की जान खतरे में है.
लोगों का कहना है कि उस कार्यवाही का क्या करना जो समय रहते न हो सके. जोशीमठ में 600 से अधिक भवानों पर दरारें आ गई हैं. 80 से अधिक किरायेदार कामरा छोड़ चूके हैं. 25 लोग घर छोड़कर पलायन कर चूके हैं. कई घरों के लोगों को दरारों की वजह से प्रशासन द्वारा दूसरी जगह शिफ्ट किया जा चुका है.
बीआरओ कैंप के लोग भी खौफ के साये में
उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ के मारवाड़ी वार्ड में भू-स्खलन से उत्पन्न आपदा ने भारी तबाही मचा रखी है. जेपी कंपनी के आवासीय कॉलोनी सहित मारवाड़ी में भू-स्खलन का तांडव जारी है. जेपी कंपनी के 25 घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आने की वजह से वो रहने लायक नहीं है. 16 परिवारों को कहीं और शिफ्ट किया गया है. 25 कर्मचारियों को लामबगड़ शिफ्ट किया गया है. जेपी कंपनी सहित बीआरओ कैंप में भी भू-स्खलन और मटमेला पानी का रिसाव भारी मात्रा में होने से लोग खौफजदा हैं. लोग इस पानी को एनटीपीसी के सुरंग का पानी मान रहे हैं. इसके अलावा, जेपी गेट, बदरीनाथ हाइवे और बीआरओ कैंप भी खतरे से बाहर नहीं है.
जोशीमठ बचाओ समिति आज निकालेगी मार्च
इन सबके बीच जोशीमठ में आज प्रशाशन की टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लेने का काम शुरू कर दिया है. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति बैनर तले आज जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिती केंडल मार्च निकलेगी.
क्या जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में हैं?
भयंकर आपदा के बीच अब लोगों को इस बात का भी डर सताने लगा है कि नरसिंह मन्दिर में भगवान नरसिंह की बाए हाथ की कलाई कमजोर हो रही है और जिस दिन टूटेगी उस दिन विष्णु प्रयाग के पासजय विजय पर्वत आपस में मिल जाएंगे, लेकिन इससे पहले प्रकृति का ये रौद्र रूप देखकर लोग बहुत खौफजदा हैं. लोग एक-दूसरे से पूछ रह हैं, क्या ये होने से पहले जोशीमठ का अस्तित्व खत्म हो जायेगा.
बता दें कि जोशीमठ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का शहर रहा है. यह अनादिकाल से ज्ञान और भक्ति का केंद्र रहा है. बाद में तीर्थाटन और पर्यटन का केंद्र रहा. भगवान शंकर के 11वें अवतार आदि गुरु शंकराचार्य ने केरल के काल्डी गांव से आकर ज्योतिर्मठ में 5 साल घोर तपस्या कर दिव्य ज्ञान ज्योति के दर्शन किए. लुप्त हो रहे सनातन धर्म की रक्षा की. बदरीनाथ धाम जाकर भगवान बदरी विशाल की मूर्ति नारद कुंड से निकाल कर पुन स्थापित किया. 2527 साल पुराने अमर कल्पवृक्ष के नीचे शंकर भाष्य सहित कई धार्मिक पुस्तकों की रचना की. यह यह नगर कार्तिकेय नगरी के 4 रूप 4 में भी जानी जाती रही है.
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