Joshimath News: बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट बंद होने को अब महज 6  दिन बाकी है. ऐसे में बद्रीनाथ धाम के रक्षक भगवान श्री घंटाकरण के मूल गांव मणिभद्रपुर माणा में रहने वाले ऋतु प्रवासी भोटिया जनजाति के लोग अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास निचले गंगाड इलाकों में रुख करने लगे हैं. शीतकालीन प्रवास माणा गांव छोड़ने से पहले भोटिया समाज की संस्कृति विरासत के साथ चलते हुए यहां के ग्रामीण अपने इष्ट देवताओं और छेत्रपाल देवता की विशेष "लास्पा पूजा" करना नहीं भूलते हैं.


6 दिवसीय होता है लास्पा पूजा उत्सव
देश के अंतिम सरहदी गांव माणा के भोटिया समुदाय के लोग प्रत्येक वर्ष बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले 6 दिवसीय पारम्परिक लस्पा पूजा उत्सव बड़े धूमधाम से मनाते है, जिसमें भगवान घंटाकरण देवता की पूजा सहित माणा गांव के प्रत्येक परिवार के लोग इस विशेष पूजा में पारम्परिक भोटिया जनजाति के वेशभूषा पहन कर शामिल होते हैं और अपनी सामाजिक सांस्कृतिक मान्यताओं का विधि विधान पूर्वक पालन करते हैं.
 
अपने परिवार के लिए खुशहाली की करते हैं कामना
बर्फबारी के बीच माणा गांव के ग्रामीण अपने इष्ट देवताओं की साल की अंतिम शीतकालीन विशेष पूजा अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली और सुख समृद्धि की कामना करते है. बर्फबारी में भी ग्रामीणों की अपने कुल देवताओं के प्रति आस्था और अगाध भक्ति साफ झलक रही है. 15 नवम्बर तक चलने वाली इस विशेष पूजा के बाद देश की इस अंतिम सरहदी ऋतु प्रवासी भोटिया जनजाति बाहुल्य गांव के सभी परिवार अपने इस ग्रीष्मकालीन प्रवास को छोड़ कर निचले इलाके में अपने शीतकालीन प्रवासी गांव की और चले जाएंगे जिसके बाद इस माणा गांव में शीत काल में सन्नाटा पसर जाएगा और पूरा क्षेत्र भारतीय सेना की निगहबानी में सुरक्षित रहेगा.


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