Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए 'सीमा दर्शन यात्रा' मील का पत्थर साबित हो सकती है. लंबे समय से भारत-चीन सीमाओं के दर्शन के लिए परमिट व्यवस्था को सरलीकरण करने की लोग मांग करते रहे हैं. 16 अगस्त को गढ़वाल (Gharwal) सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के नेतृत्व में श्री बद्रीनाथ (Badrinath) से देवताल-माणा पास तक न केवल सीमा दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया बल्कि भारत-चीन सीमा पर तिरंगा यात्रा भी निकाली गई.


अब यहां से होंगे सीमा के दर्शन


उत्तराखंड में छह स्थानों से भारत-चीन सीमा के दर्शन की आवाजाही की जा सकती है लेकिन फिलहाल देवताल माना पास और रिमखिम बाड़ाहोती तक वाहनों की आवाजाही सुगम होने के बाद देशभर के प्रकृति प्रेमी पर्यटक सीमा दर्शन और सीमा से लगे मंदिरों,तालों और झीलों के दर्शनों कर सकेंगे. हालांकि बीते दिनों सीमा के देवताल और बड़ाहोती स्थित पार्वती कुंड तक की यात्राएं शुरू कराने के साथ कैलाश मानसरोवर का मार्ग इन दर्रो से भी कराए जाने के लिए मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से भी आग्रह किया गया जिस पर सेना की ओर से सकारात्मक पहल भी हुई. 


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इस साल सीमा से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों लोग पार्वती कुंड सेना और आईटीबीपी की देखरेख में यात्रा कर चुके हैं है. माना पास  में  देवताल और नीती पास से बड़ाहोती की यात्राएं इसलिए भी सुगम हो सकती है कि बीआरओ द्वारा दोनों दर्रों तक बनी सड़क का डामरीकरण भी कर लिया है. जिससे सीमाओं पर सुगम आवागमन हो गया है.  श्री बद्रीनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्री देश के अंतिम गांव माणा,भीमपुल,ब्यास गुफा,तक तो पहुंचते ही हैं, यदि उन्हें बद्रीनाथ से ही सीमा दर्शन की अनुमति मिलती है तो वे अपने वाहनों से ही कुल 52 किमी का सफर तय कर देवताल पहुंच सकते हैं. 


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