Joshimath Sinking: जोशीमठ भू-धंसाव से अब तक 723 घर में आई दरार, 131 परिवारों को किया गया शिफ्ट
जोशीमठ में भू-धंसाव से अब तक कई परिवारों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं प्रशासन की तरफ से संवेदनशील घर गिराए जा रहे हैं.
UP News: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसाव (Landslide) के कारण क्षतिग्रस्त हुए मकानों की संख्या बढ़कर 723 हो गई है. सुरक्षा की दृष्टि से फिलहाल अस्थाई रूप से 131 परिवारों को यहां से हटाया गया है. इस आपदा की स्थिति में जोशीमठ नगर के अंदर 344 राहत शिविर चिह्नित किए गए हैं जिसमें 1425लोगों के रहने की व्यवस्था है. वहीं, जोशीमठ से बाहर पीपलकोटी में 491 कक्षों को चिह्नित किया गया है जिसमें 2205 लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है.
भू-धंसाव को लेकर राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर बैठकें भी आयोजित की गई हैं. उधर, राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति ने जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की हैंं. इस बैठक में स्थिति पर चर्चा की गई. इस दौरान इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि बिना किसी देरी के प्रभावित इलाकों से लोगों को बाहर निकाला जाए. कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने संवेदनशील ढांचे को गिराने को प्राथमिकता देने की बात की. समिति ने भी बैठक को लेकर बयान जारी किया है जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत शिविर चिह्नित किए गए हैं.
विपक्ष के निशाने पर है सरकार
जोशीमठ भू-धंसाव के मुद्दे ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है. मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी सरकार पर हमलावर है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने मकानों को गिराए जाने के फैसले पर नाराजगी जताई है. रावत ने कहा कि सरकार के पास आपदा से निपटने की समझ नहीं है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा, 'जोशीमठ में बहुत विध्वंसक स्थिति बनी हुई है. सरकार के पास जोशीमठ की स्थिति से निपटाने की कोई समझ नहीं है. होटल और घरों को तोड़ने के आदेश दे दिए गए हैं लेकिन लोगों को मुआवजा क्या मिलेगा. सरकार इस पर नहीं बोल रही है.'
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