Juna Akhada News Today: लोकसभा चुनाव में जातियों की सियासत अपने शबाब पर है, लेकिन जातीय भेदभाव को खत्म कर हिंदुओं को एकजुट करने के मकसद से जूना अखाड़े ने एक बार फिर बड़ी पहल की है. साल 2018 में पहला दलित महामंडलेश्वर बनाने के बाद जूना अखाड़े ने अब पहला दलित जगतगुरु भी बनाया है. जूना अखाड़े ने गुजरात के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि को जगतगुरु की पदवी दी है. वह अनुसूचित जाति के हैं. उनका पट्टाभिषेक समारोह संगम नगरी प्रयागराज में जूना अखाड़े के मौजगिरि आश्रम में हुआ.
इस समारोह में देश के पहले दलित जगतगुरु स्वामी महेंद्रानंद गिरि के अनुसूचित जाति के दो शिष्यों को महामंडलेश्वर और श्री महंत की उपाधि भी दी गई. जूना अखाड़े के संतों के मुताबिक यह पहल सनातन धर्मियों को एकजुट करने, धर्मांतरण रोकने और सनातन का प्रभाव बढ़ाने के मकसद से की गई है.
स्वामी महेंद्रानंद गिरि पिछले काफी अरसे से जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं. गुजरात के महेंद्रानंद को जूना अखाड़े ने कई साल पहले महामंडलेश्वर की पदवी दी थी. अब उन्हें जगतगुरु की उपाधि दी गई है, अखाड़े की तरफ से इसके लिए बाकायदा पट्टाभिषेक समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती को खास तौर पर बुलाया गया था. इस समारोह में जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और गाजियाबाद के दूधेश्वर धाम के पीठाधीश्वर स्वामी नारायण गिरि भी मौजूद थे.
स्वामी राम गिरी को दी श्री महंत की पदवी
इसी समारोह में जगतगुरु महेंद्रानंद के शिष्य कैलाशानंद गिरि को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई, जबकि दूसरे शिष्य स्वामी राम गिरी को श्री महंत की पदवी दी गई. यह दोनों भी अनुसूचित जाति से ही हैं. स्वामी महेंद्रानंद के साथ ही इन दोनों का भी पट्टाभिषेक किया गया.
जगतगुरु की उपाधि देकर बड़ा संदेश देने की कोशिश
जूना अखाड़े ने यह पहल लोकसभा चुनाव के दौरान और प्रयागराज में कुछ महीनो बाद आयोजित होने जा रहे महाकुंभ से पहले की है. अखाड़ा आमतौर पर कुंभ और महाकुंभ में ही पट्टाभिषेक के कार्यक्रम आयोजित करता है, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान दलित संत को जगतगुरु की उपाधि देकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है. जूना अखाड़े ने पिछले लोकसभा चुनाव से साल भर पहले अप्रैल 2018 में पहला दलित महामंडलेश्वर भी बनाया था.
उस समय यूपी के पूर्वांचल में आश्रम चलाने वाले स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को महामंडलेश्वर की पदवी देकर उनका पट्टाभिषेक किया गया था. वह देश के पहले दलित महामंडलेश्वर थे, अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन में भी वह अयोध्या गए थे. जूना अखाड़े के पदाधिकारी भले ही यह कह रहे हो की संत की कोई जाति नहीं होती, लेकिन अखाड़े में आमतौर पर महामंडलेश्वर ब्राह्मण समुदाय के संतो को ही बनाया जाता है.
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