प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। अयोध्या विवाद समेत तमाम अहम मामलों में फैसला सुनाने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर जज जस्टिस सुधीर अग्रवाल गुरूवार को अपनी सेवा से रिटायर हो गए। जस्टिस सुधीर अग्रवाल एशिया के किसी भी हाईकोर्ट में सबसे ज़्यादा मुक़दमे तय करने वाले जज हैं। उनके नाम एक लाख चालीस हज़ार से ज़्यादा मुकदमों में फैसला सुनाने का एशियाई रिकार्ड भी है। गुरुवार को कार्यकाल के अंतिम दिन उन्हें हाईकोर्ट में हुए सादे समारोह में विदाई दी गई। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अगुवाई में हुए फुलकोर्ट फेयरवेल में कोरोना वायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का ख़ास ख्याल रखा गया।


अयोध्या विवाद पर साल 2010 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से आए फैसले में शामिल तीन जजों में जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी शामिल थे। अयोध्या विवाद के अलावा उन्होंने ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य विवाद, प्राइमरी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए नेताओं और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने का भी फैसला दिया था। इसके साथ ही प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान की भरपाई, शंकरगढ़ रियासत से पैंतालीस गांवों को आज़ाद कराने, एडेड अल्पसंख्यक स्कूलों में लिखित परीक्षा से टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराने जैसे तमाम चर्चित मामलों में भी फैसला सुनाया है। सादगी के साथ रहने वाले जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अपनी बेटी का ऑपरेशन प्रयागराज के सरकारी अस्पताल में कराया था।


जस्टिस सुधीर अग्रवाल मूल रूप से यूपी के फ़िरोज़ाबाद के रहने वाले हैं। तकरीबन बीस साल पहले वह हाईकोर्ट में यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त हुए थे। पांच अक्टूबर साल 2005 को वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। तकरीबन दो साल बाद 10 अगस्त 2007 को वह परमानेंट तौर पर जज हुए थे। गुरुवार 23 अप्रैल 2020 को सेवा पूरी कर वह रिटायर्ड हो गए। उन्होंने अपने पंद्रह साल के कार्यकाल में कुल एक लाख चालीस हज़ार साथ मुकदमों में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था।