एंटरटेनमेंट डेस्क। शब्दों के शहंशाह, बेहतरीन कॉमेडियन, दिग्गज कलाकार और कला के सच्चे उपासक कादर खान का आज जन्मदिन है। कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर, 1937 को अफ्गानिस्तान के काबुल में हुआ था।
90 के दशक का हर वो बच्चा जो बॉलीवुड फिल्मों को देखते हुए बड़ा हुआ हो वो कादर खान नाम से परिचित ना हो ऐसा हो ही नही सकता। वो ही समय ऐसा था जब कादर खान हंसी का पर्याय बन चुके थे। उनका फिल्म में होने का मतलब ही ये था कि फिल्म में 5 से 10 सीन जरुर कॉमेडी के होंगे। कादर खान ने बॉलीवुड की फिल्मों में विभिन्न छोटे-बड़े रोल निभाकर दर्शकों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं। कादर खान एक फेमस एक्टर होने के साथ-साथ कॉमेडियन, स्क्रिप्ट और डाइलॉग राइटर भी थे।
कादर खान ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत एक म्युनिसिपल स्कूल से की थी। उसके बाद उन्होंने इस्माइल कॉलेज से अपने ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की। फिल्म जगत में आने से पहले कादर खान एक कॉलेज में लेक्चरर थे। कादर खान मुंबई में रहते थे और उनके तीन बेटें हैं।
कादर खान ने अपने फिल्मी करियर में तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया। इसके अलावा 1000 हिंदी और उर्दू फिल्मों का संवाद लेखक भी रह चुके हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा में सबसे ज्यादा फिल्में अभिनेता गोविंदा निर्देशक डेविड धवन के साथ की है। उन्होंने कभी दर्शकों को कॉमेडी से गुदगुदाया तो कभी विलेन बन लोगों को डराया। कादर खान जो भी भूमिका निभाते हैं उसमे उसी तरह रम जाते थे।
कादर खान से जुड़ा एक किस्सा काफी दिलचस्प है। कादर खान बचपन में रात के वक्त कब्रिस्तान जाते थे। कादर खान मुंबई में अपने घर के पास वाले कब्रिस्तान में जाकर रियाज किया करते थे। एक रोज कादर खान का रियाज जारी था कि तभी टॉर्च की रोशनी उनके चेहरे पर पड़ी। टॉर्च जलाने वाले इंसान ने कादर खान से पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो? कादर खान ने सीधा जवाब दिया, "रियाज कर रहा हूं। मैं दिन में जो भी अच्छा पढ़ता हूं, रात में यहां आकर उसका रियाज करता हूं" कादर खान से सवाल करने वाले शख्स थे अशरफ खान। अशरफ खान, कादर खान से प्रभावित हुए और उनसे पूछा. "नाटक में काम क्यों नहीं करते हैं काम करोगे? और इस तरह कादर खान के नाटक में काम करने का सफर शुरू हुआ।
1973 में फिल्म दाग से पर्दे पर कदम रखने वाले कादर साहब ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। पर्दे पर उनकी आंखों में आंसू देखकर दर्शक रोता था, उनकी कॉमेडी से सिनेमा हॉल हंसी से गुंजता था, उनके लिखे डायलॉग को सुनकर तालियां पिटती थीं। न जाने कितने अभिनेताओं को उन्होंने सिनेमा का सरताज बनाया लेकिन जिंदगी के अंतिम दिनों में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। 31 दिसंबर 2018 को कादर खान का निधन हो गया था।