कलाकार और किस्से: दिलावर और आएशा बनकर Hema Malini और Dharmendra ने किया था निकाह
कोई इन्हें गीता के नाम से जानते हैं, तो कुछ लोग इन्हें सीता के नाम से बुलाते हैं। ‘देखो मुझे बेफिजूल की बात करने की आदत तो है नहीं’। अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस अदाकारा की बात कर रहें है, जी हां हम कलाकार और किस्से में बात करेंगे बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल यानि हेमा मालिनी की।
मुंबई, एंटरटेनमेंट डेस्क। हेमा मालिनी का पूरा नाम “hema malini ramanujam chakraborty” है। हेमा का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिलनाडू हुआ था। फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत करने के लिए हेमा मालिनी ने 10वीं क्लास के बाद पढ़ाई करनी छोड़ दी थी। उसके बाद उनको 1961 में एक तेलुगु फिल्म में काम करने को मौका मिला। जब हेमा को तेलुगु फिल्म " पांडव वनवासन में ब्रेक मिला तो उनकी उम्र महज 13 साल की थी।
हेमा मालिनी भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी और ओडिसी में माहिर थीं। फिर भी 15 साल की उम्र में निर्देशक सीवी श्रीधर ने उन्हें तमिल फिल्म Vennira Aadai में रोल देने से इंकार कर दिया था क्योंकि वो स्क्रिन पर बहुत ही पतली दिखती थी। कहा जाता है कि श्रीधर ने साड़ी में उनका ऑडिशन लिया ताकि वो उम्र में बड़ी दिखे, लेकिन वो सेलेक्ट नहीं हो पाई।
सबसे पहले शुरु करते हैं पहले किस्से से। हेमा-मालिनी को अपने शुरूआती करियर में कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था, यहाँ तक की एक बार तमिल निर्देशक ने उन्हें अपनी फिल्म मे यह कहकर लेने से मना कर दिया था कि उनमे एक स्टार अपील नहीं है। हेमा मालिनी ने हिंदी सिनेमा में कई सालों तक बेहद संघर्ष किया। साल 1968 में उन्होंने राजकपूर निर्देशित फिल्म सपनों के सौदागर में अभिनय किया। फिल्म तो बॉक्स-ऑफिस पर असफल साबित हुई लेकिन अभिनेत्री के रूप में हेमा मालिनी को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
इसके बाद हेमा के करियर में वो होने वाला था जिसे आम भाषा में हम चमत्कार कहते हैं। इसके बाद हेमा ने दो फिल्में साइन की देव आनंद के साथ "जॉनी मेरा नाम" और धर्मेंद्र के साथ "तुम हसीन मैं जवान"। 1970 में ये दोनों फिल्म रिलीज हुई और ये दोनों फिल्में बडें पर्दे पर सुपर हिट साबित हुई।
हेमा मालिनी के करियर में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने रमेश सिप्पी की फिल्म ‘सीता और गीता’ साइन की। ये फिल्म उनके सिनेमा करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद वो शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। उन्हें इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 1971 में फिल्म फेयर के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। हेमा ने फिल्म ‘सीता और गीता’ में डबल रोल का किरदार निभाया था। ये दोनों ही किरदार एक दूसरे से बिल्कुल अलग थे। एक किरदार ऐसा था जो किसी के सामने आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था। तो एक किरदार ऐसा था जिसे किसी की भी ऊंची आवाज सुनना गंवारा नहीं था। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के निर्माण के समय निर्देशक रमेश सिप्पी नायिका की भूमिका के लिए मुमताज का चयन करना चाहते थे लेकिन किसी कारण से वह यह फिल्म नहीं कर सकीं।
‘सीता और गीता’ ही वो फिल्म है जिसकी शूटिंग के दौरान धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी एक दूसरे के नज़दीक आए और दोनों का प्यार परवान चढ़ा हुआ था। दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे दोनों एक दूसरे के साथ फिल्में करते रहे और सारी फिल्में कामयाब भी होती चली जा रही थी। ये ही नहीं, फिल्मों के साथ धर्मेन्द्र और हेमा का रिश्ता भी मज़बूत होता चला गया।
हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र की नजदीकियों की खबरें हेमा के पिता वीएसआर चक्रवर्ती को बेहद परेशान करने लगी। उस वक्त की फिल्म मैगजीन्स में लगातार ये खबरें छप रही थीं कि, इस रिश्ते को तोड़ने के लिए हेमा का परिवार उन पर बेहद दबाव डाल रहा है, लेकिन हेमा के लिए धर्मेंद्र से दूर रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो गया था। फिल्म शोले की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र ने कैमरामैन से एक सीन को बार बार शूट करने को कहा। धर्मेद्र इस सीन को बार बार शूट करवाना चाहते थे ताकि वो हेमा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकें।
हेमा मालिनी ड्रीम गर्ल थी और ना सिर्फ आम लड़कों की ड्रीम गर्ल बल्कि बड़े बड़े हीरोज की ड्रीम गर्ल थी और ना जाने हेमा जी ने किस किस के ड्रीम तोड़े। कई बड़े हीरोज चाहते थे कि हेमा उनकी हो जाएं। ये वो समय था जब शादीशुदा और चार बच्चों के पिता धर्मेन्द्र के साथ हेमा के अफेयर की खबरों को लेकर हेमा का परिवार बेहद दवाब और तनाव में था । संजीव कुमार ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने खास दोस्त जीतेंद्र के हाथ हेमा को शादी का प्रपोजल भेज दिया, लेकिन हेमा की मां ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया था।
हेमा ने संजीव कुमार के साथ शादी से इंकार कर दिया। तो खुद संजीव कुमार के खास दोस्त जीतेन्द्र ने मौका देखकर अपने मन की बात हेमा के सामने खोल दी। जीतेन्द्र बहुत अच्छे डांसर थे। दरअसल वो खुद हेमा मालिनी के प्यार में गिरफ्तार हो चुके थे। हेमा मालिनी और जीतेन्द्र की शादी तक पहुंच चुकी थी और फिर चेन्न्ई में एक शाम हेमा मालिनी के बंगले पर दोनों के परिवार शादी की बात करने के लिए मिले भी, लेकिन इससे पहले की बात आगे बढ़ पाती कहानी में हो गई हीरो यानि धर्मेन्द्र की एंट्री ।
जीतेन्द्र और हेमा मालिनी की शादी की बात चल ही रही थी कि अचानक हेमा के घर के टेलीफोन की घंटी बज उठी। फोन था मुंबई से धर्मेन्द्र का जिन्हे चेन्नई में हेमा और जीतेन्द्र के परिवार की इस मुलाकात की खबर लग चुकी थी। धर्मेन्द्र बेहद गुस्से में थे। उन्होने हेमा से कहा कि वो कोई भी फैसला लेने से पहले अच्छी तरह सोच लें। जीतेंद्र हेमा से शादी करने की जल्दी में थे। उन्होने हेमा से कहा कि वो फौरन उनके साथ तिरुपति चलें और शादी कर लें। हेमा सोच ही रही थी कि तभी एक फोन आया। लेकिन इस फोन पर धर्मेन्द्र नहीं थे बल्कि थीं लंबे समय से जीतेन्द्र की गर्लफ्रेंड रहीं एयर होस्टेस शोभा सिप्पी। शोभा को भी चेन्न्ई में चल रही बात के बारे में सब पता था। उन्होने कहा कि वो कोई जल्दबाजी में आ कर कदम ना उठाएं।
1978 में हेमा मालिनी के पिता की अचानक मौत हो गई । हेमा मालिनी उनके बेहद करीब थीं और उनकी मौत के बाद वो बेहद अकेली हो गईं । ऐसे वक्त में धर्मेन्द्र ने उनकी हिम्मत बढ़ाई, उनका साथ दिया। बस फिर क्या था हेमा ने धर्मेन्द्र से शादी करने का फैसला कर लिया।
कानून के मुताबिक धर्मेन्द्र पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकते थे। इसलिए 21 अगस्त 1979 को इस्लाम धर्म कबूल करते हुए धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी ने निकाह कर लिया। निकाहनामे के मुताबिक धर्मेन्द्र का नाम था दिलावर खान और हेमा का नाम था आयशा बी। उस समय दोनों ने अपने निकाह की बात छुपाई लेकिन जब ये खबर सामने आई तो हंगामा हो गया और उस दौर में भी इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ।
लेकिन धर्मेन्द्र और हेमा ने इस विवाद का असर अपने रिश्ते पर नहीं पड़ने दिया और इस निकाह के कुछ महीने बाद 2 मई 1980 को हिंदू रीति रिवाजों के मुताबिक भी शादी कर ली। शादी का ये पूरा समारोह हेमा के आयंगर परिवार की परंपरा के मुताबिक हुआ।