Kalyan Singh Funeral: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दे दी गई है. पंच तत्व 'क्षितिज, जल, पावक, गगन, समीरा' से बना शरीर चंद मिनटों में पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु में सम्मिलित हो गया लेकिन अगर कुछ रह जाएगा तो उनकी यादें और उनके कार्य. राम मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर अपने पथ पर चले कल्याण सिंह इसका निर्माण देख कर अनंत पथ की ओर प्रस्थान कर गए. उनके बेटे ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी.


राम मंदिर आंदोलन से देश भर में चर्चा में आए कल्याण सिंह के निधन के निधन के बाद बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक गमगीन हैं. जिन्होंने भी उनके साथ काम किया, उन्हें अपने तरीके से याद कर रहा है. कोई उन्हें प्रेरक नेता बता रहा है तो कोई विकास की राह पर चलने वाला व्यक्ति.


वहीं, अमित शाह ने तो ये भी कहा कि आने वाले कई साल तक पार्टी के अंदर उनकी कमी नहीं पूरी की जा सकती है. अमित शाह ने कहा कि यूपी ने अपना एक महान नेता खो दिया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के पिछड़ों ने अपना हितचिंतक खो दिया.


नम आंखों से हर कोई दे रहा था विदाई


कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले ही उनके दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी. हर कोई उनका अंतिम दर्शन करना चाह रहा था. जिस रास्ते से उनकी अंतिम यात्रा निकल रही थी उन रास्तों को फूलों से पाट दिया गया था.


अंतिम दर्शन को मौजूद हर कोई उन पर फूलों की बारिश करना चाह रहा था. कोई नम आंखों से उन्हें विदाई दे रहा था तो कोई कल्याण सिंह अमर रहें नारों के साथ उन्हें अनंत की ओर प्रस्थान करते हुए देख रहा था. कोई बाबू जी अमर रहें के नारे का उद्घोष कर रहा था. इस गमगीन बेला में हर किसी की आंखें नम थी.


शनिवार को हुआ था निधन


बता दें कि, पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार को रात करीब सवा नौ बजे लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में निधन हो गया था. वो 89 वर्ष के थे. कल्याण सिंह को काफी दिनों पहले संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य समस्याएं होने पर आईसीयू में भर्ती करवाया गया था.


कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार बुलंदशहर के नरौरा गांव में आज शाम किया गया. इससे पहले कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को अलीगढ़ के अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम में रखा गया था. इस दौरन लोग उनके अंतिम दर्शन करने के लिए उमड़ रहे थे.


कल्याण सिंह का सफर


कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को हुआ था. 1991 में वो पहली बार उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. दूसरी बार वह साल 1997-99 तक मुख्यमंत्री रहे. कल्याण सिंह के के मुख्यमंत्री रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी. बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 


26 अगस्त 2014 को वह राजस्थान के राज्पाल बनाए गए थे. इससे पहले साल 2004 में वो बुलंदशहर से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे. साल 2009 में वो एटा से निर्दलीय सांसद बने. 2010 में कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी जन क्रांति पार्टी भी बनाई थी. इससे पहले साल 2009 में उन्होंने समाजवादी पार्टी भी ज्वाइन की थी.


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