UP Election 2022: खुशी दुबे की बहन और कांग्रेस प्रत्याशी नेहा तिवारी की कैसे होंगी मुश्किलें कम? पार्टी में गुटबाजी पर बोलीं ऐसे कैसे काम चलेगा
नेहा तिवारी की माने तो कांग्रेस के जो कल्याणपुर से आवेदनकर्ता रहे हैं उनका जितना साथ मिलना चाहिए वह मिलता नहीं दिख रहा है. प्रचार प्रसार में काफी दिक्कतें आ रही हैं.
UP Assembly Election 2022: कांग्रेस पार्टी ने कानपुर की कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से बिकरू कांड की सह अभियुक्त खुशी दुबे की बड़ी बहन नेहा तिवारी को अपना प्रत्याशी बनाया है. पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने से स्थानीय कांग्रेसी नेता और टिकट के आवेदक अभी भी बेहद नाराज बताए जा रहे हैं. तमाम चैनल के माध्यम से पार्टी की स्थानीय गुटबाजी और नेताओं की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया गया लेकिन इसमें सफलता मिलती नहीं दिख रही है.
स्थानीय नेताओं के समर्थक दूसरे दलों के संपर्क में
एक कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि वो प्रियंका गांधी का संदेश लेकर आए हैं और सभी को एकजुट होकर पार्टी के प्रत्याशी को दमखम से लड़ाना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. पनकी स्थित बजरंगबली के प्रसिद्ध मंदिर में नेहा तिवारी अपनी मां गायत्री तिवारी के साथ आशीर्वाद लेने पहुंचीं तो एक भी कांग्रेसी नेता उनके साथ नहीं था.
नरेश चंद्र त्रिपाठी, राजीव द्विवेदी और सुमन तिवारी जैसे आवेदनकर्ता नेहा तिवारी को आश्वासन तो चुनाव लड़वाने का दे रहे हैं लेकिन लड़ाने को कोई भी तैयार नहीं. ये स्थानीय नेता तो साथ होने का दावा करते हैं लेकिन इन नेताओं के समर्थक दूसरे दलों के नेताओं के संपर्क में हैं.
साथ नहीं मिल रहा-नेहा
ऐसे में जब हमने नेहा तिवारी से बात की तो उनकी मुश्किलें साफ दिखीं. नेहा तिवारी की माने तो कांग्रेस के जो कल्याणपुर से आवेदनकर्ता रहे हैं उनका जितना साथ मिलना चाहिए वह मिलता नहीं दिख रहा है. प्रचार प्रसार में काफी दिक्कतें आ रही हैं. नेहा ने कहा कि वो गरीब परिवार से हैं. उनके पास ना गाड़ी है, ना साधन है और ना पैसा है. अभी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आप लोगों का साथ मिलेगा तो वह लड़ाई आसान रहेगी.
समर्थन दिखाई नहीं दे रहा-नेहा
नेहा ने कहा, यह लड़ाई खुशी के साथ हुए अन्याय के खिलाफ चल रही है. अगर उसका साथ नहीं देंगे तो कैसे काम चलेगा. खुशी के सम्मान के लिए हर महिला और बेटी के सम्मान के लिए लड़ाई जारी है. मैं समाज में व्याप्त कुरीतियों से लड़ने आई हूं. अगर आप लोग ही मेरा साथ नहीं देंगे तो मेरी लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी. कई स्थानीय नेताओं से आश्वासन तो मिला है लेकिन समर्थन की बात की जाए तो वह दिखाई नहीं दे रहा.
कोई लड़ाई लड़ने को तैयार नहीं-नेहा समर्थक
नेहा के साथ दे रहे लोगों का कहना है कि समाज के लोग तो नेहा तिवारी के साथ खड़े हैं लेकिन जो समर्थन कांग्रेस पार्टी के भीतर से इनको मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा. शायद कांग्रेस की गुटबाजी हावी है. पब्लिक बेटी मान कर चुनाव लड़ाना चाहती है. चुनाव में प्रचार प्रसार कैसे किया जाता है हमें नहीं मालूम. आज से किसी तरीके से प्रचार प्रसार शुरू कर रहे हैं. कोई इस बच्ची की लड़ाई लड़ने को तैयार नहीं है. प्रियंका जी की थीम के मुताबिक फिलहाल लड़ाई होती नहीं दिख रही.
कोई भी स्थानीय नेता नेहा तिवारी के साथ नहीं आ रहा है. अगर नाम बताएंगे तो इनके खिलाफ काम करने में जुट जाएंगे. महिला के दर्द को समझकर प्रियंका जी ने नेहा तिवारी को टिकट दी थी. प्रचार प्रसार राम भरोसे हैं लेकिन लड़ना है. कांग्रेस लड़ाएगी या नहीं लेकिन हम लड़ेंगे.
चुनावी माहौल नहीं दिख रहा-नेहा की मां
नेहा तिवारी की मां का कहना है कि जैसे संभव होगा वैसे प्रचार प्रसार किया जाएगा. जैसे लोग सपोर्ट करेंगे वैसे प्रचार प्रसार किया जाएगा. कांग्रेस के नेता बातचीत कर रहे हैं आ रहे हैं लेकिन जैसा प्रचार प्रसार या चुनावी माहौल दिखना चाहिए वैसा नहीं दिख रहा. प्रचार प्रसार काफी लेट हो चुका है जिसमें तेजी आनी चाहिए.
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