Kannauj News: कन्नौज जिला जेल की अनोखी पहल, कैदियों की पाठशाला लगाकर कर रहे शिक्षित
UP News: कन्नौज जिला कारागार में 45 पुरुष और 5 महिला कैदी जो कभी अशिक्षित थे, अब साक्षरता की परीक्षा दे रहे हैं. ढाई महीने की मेहनत के बाद ये कैदी अब साक्षरता के शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार हैं.
Kannauj News: कन्नौज जिला कारागार की चारदीवारी के भीतर एक नई उम्मीद जगी है. 45 पुरुष और 5 महिला कैदी, जो कभी अंधेरे में जीने को मजबूर थे. आज साक्षरता की रोशनी की ओर बढ़ रहे 'नव भारत साक्षरता परीक्षा' ने इन कैदियों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ा है. ढाई महीने की मेहनत और लगन के बाद ये कैदी अब साक्षरता के शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार हैं. जिला कारागार प्रशासन की इस सराहनीय पहल की अब हो रही है.
दरअसल यह पूरा मामला कन्नौज के जिला कारागार का है, हाथ में कलम और मेज पर प्रश्नपत्र को हल करते हुए ये वो लोग है जो किसी न किसी अपराध के चलते जेल में सजा काट रहे है. समाज की मुख्यधारा से दूर जा चुके इन कैदियों को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जिला कारागार ने इन अशिक्षित कैदियों को पहले शिक्षित किया. अब ये शिक्षित कैदी साक्षरता की परीक्षा दे रहे है.
क्या बोले जेल में बंद कैदी
जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान की साक्षरता को लेकर ढाई महीने पहले शुरू की गई जेल में पाठशाला का असर अब देखने को मिल रहा है. परीक्षा दे रहे कैदियों सबसे बुजुर्ग कैदी राधेश्याम जो खुद को 90 साल का बता रहे है और ये भी कह रहे कभी उन्होने कलम कागज़ नहीं पकड़ा. हमेशा अपना अंगूठा लगाया, लेकिन जेल की पाठशाला में पढ़कर वह अब अपना नाम लिख लेते है. राधेश्याम का कहना है जब जेल से छूटेंगे तो वह अपने साइन करके बाहर जायेंगे. साक्षरता की परीक्षा दे रही महिला कैदी शहनाज कहती है, वह भी अंगूठा छाप थी लेकिन जेल की पाठशाला में वह अब शिक्षित हो गई है.
'जेल अब सुधार ग्रह के रूप में तब्दील'
जेल में अनपढ़ कैदियों में शिक्षा की अलख जगाने वाले कन्नौज जेल के जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान बताते है कि वर्तमान समय में जेल अब सुधार ग्रह के रूप में तब्दील हो चुकी है. अब अहम दो उमीदें में काम करना होता है. एक कस्टोरिअल दूसरे रिफॉर्मर की हमको रेफोर्मेशन के पार्ट में भी काम करना है. हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि जो बंदी जेल में आया है, उसको कुछ ऐसा पढ़ाया जाय कुछ ऐसा सिखाया जाय कि उनकी मानसिकता में परिवर्तन हो और सोच बदले.
'बाहर जाकर दुबारा अपराध न करें'
उन्होंने यह भी कहा कि कैदी जेल से बाहर निकले तो समाज में अच्छे नागरिक के रूप में समाज में शांति से रहे. वहीं मेहनत मजदूरी से ईमानदारी से रोजी रोटी कमाए. बाहर जाकर दोबारा अपराध न करें. इसी उद्देश्य के तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर रहे है. इसी के कड़ी में हम शिक्षा और साक्षरता में विशेष बल दे रहे है. क्योंकि इंसान के मानसिक विकास के लिए शिक्षा और साक्षरता होना बहुत जरुरी हैय निरक्षर होने के बाद भी ये कैदी बड़ी मेहनत से जेल में पढ़ रहे है.
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