Sawan 2024 Kannauj: सावन माह के पहले सोमवार को इत्र और इतिहास की नगरी कहे जाने वाले कन्नौज जिले स्थित अति प्राचीन सिद्ध पीठ बाबा  गौरीशंकर मंदिर में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. यहां दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पूजा अर्चना की और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगा. कन्नौज जिले में गंगा किनारे स्थित बाबा गौरी शंकर का अति प्राचीन मंदिर है. माना जाता है कि बाबा गौरीशंकर मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं. 


कन्नौज के सुप्रसिद्ध प्राचीन गौरी शंकर बाबा मंदिर सिद्दिपीठ है. कहते हैं कि यहां भगवान शिव का पूरा परिवार विराजमान हैं. राजा हर्षवर्धन के काल में इस 1001 पंडितों से पूजा करवाई जाती थी. सावन के महीने में इस मंदिर में हर साल भारी संख्या में भक्त आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. 


पूरे परिवार के साथ विराजमान भगवान शिव
ये मन्दिर छठी शताब्दी का है. तत्कालीन सम्राट हर्षवर्धन भी यहां 1001 पंडितों के साथ पूजा अर्चना किया करते थे. कहते हैं यहां का शिवंलिग स्वंयभू है. जिसमें भगवान शिव के साथ माता पार्वती, पुत्र गणेश और कार्तिकेय विराजमान है. लोगों का कहना है कि एक बार इसकी खुदाई की गई थी लेकिन इसका कोई अंत नहीं मिला जिसके बाद खुदाई बन्द करनी पड़ी. 


मंदिर को लेकर एक कहानी ये भी जुड़ी है कि जब भगवान शिव माता सती का मृत शरीर लिए ब्रह्मांड में विचरण कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किये थे, तब माता सती के कान का टुकड़ा यहां गिरा था. इसलिए इस शहर को पहले कान्यकुब्ज कहा जाता था लेकिन, धीरे धीरे इसे लोग कन्नौज कहने लगे. इस शिवलिंग में एक तरफ मां के कान को भी देखा जा सकता है. 


सिद्धपीठ के साथ शक्तिपीठ मंदिर
मंदिर के पुजारी की माने तो बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद कन्नौज के गौरीशंकर मंदिर का धार्मिक महत्व है. यह सिद्ध पीठ के साथ साथ शक्ति पीठ मंदिर है. प्राचीन समय में यह शिवलिंग पतित पावनी मां गंगा मैया के तट पर स्थित था. आज भी जब गंगा नदी उफान पर होती है तो मन्दिर के शिवलिंग को छूकर चली जाती हैं. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सम्राट हर्षवर्धन के समय में इस मंदिर के दर्शन किये थे और अपनी यात्रा वर्णन में कन्नौज के गौरी शंकर मंदिर के महत्व के बारे में भी लिखा था. सावन के महीने में यहां लोग बहुत दूर दराज से आते है और जलाभिषेक करते है.  


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