Paper Leak Case: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार चर्चा का विषय बनी हुई है. कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने अब सोशल मीडिया के जरिए एक पोस्ट कर नया दावा कर दिया है. उन्होंने अपने पोस्ट में पेपर लीक को हार का एक बड़ा कारण बताया है. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव २०२४ में उत्तर प्रदेश प्रदेश में भाजपा की हार के वैसे तो बहुत से कारण हैं पर उन कारणों में से एक बड़ा कारण पेपर लीक भी है.
पूर्व सांसद ने लिखा, 'उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्ती में हुआ पेपर लीक वैसे कोई नई बात नहीं है धीरे धीरे देश भर के तमाम राज्यों की विभिन्न परीक्षाओं में होने बाला पेपर लीक हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. लेकिन मुझे ख़ुशी है इस बार नीट की परीक्षा में हुआ पेपर लीक का मुद्दा इस बार राष्ट्र व्यापी बन गया है. मोदी सरकार ने पहले ही संसद में पेपर लीक पर कठोर कानून बना दिया था साथ ही नीट की परीक्षा में हुए पेपर लीक की CBI जांच के बाद अब तक देश भर में कई महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां भी जारी हैं.'
हमारा सिस्टम बेबस- पूर्व सांसद
बीजेपी के पूर्व सांसद ने लिखा, 'आखिर क्या कारण है बार बार ऐसी घटनाएँ हमारे सामने आती हैं और और इनके आगे हमारा सिस्टम बेबस नजर आता है. इसके लिए हमे स्वयं को महसूस कर समझना होगा. अंग्रेज हमारे देश को छोड़ कर चले गये किन्तु भ्रष्टाचार को हमारी जड़ों में छोड़ गए और यह धीरे धीरे ये हमारे समाज का हिस्सा बन गया और फिर हमारे देश के राज नेताओं के संरक्षण में ये भ्रष्टाचार हमारी शिक्षा व्यवस्था में भी घुस गया और हमारी शिक्षा व्यवस्था को ही पूरी तरह चौपट कर दिया स्कूल कालेज कोचिंग सेण्टरों की बनी बड़ी बड़ी इमारतों ने शिक्षा को पूरी तरह व्यापार में बदल दिया.'
उन्होंने कहा कि पूरे देश में खासकर UP बिहार में कुछ राजनीतिक दलों और भ्रष्ट नेताओं के संरक्षण में हाई स्कूल और इंटर जैसी परीक्षाओं में नक़ल को संस्थागत रूप दे दिया गया और धीरे धीरे हमारे समाज ने भी इसे स्वीकार कर लिया. अब जिसकी पढ़ाई की शुरुआत ही बेईमानी अर्थात् नकल से हुई हो और वो आगे किसी पद पर पहुंच जाता है तो उससे नैतिकता की उम्मीद भी बेईमानी ही है. ऐसा नहीं है कि इसको समाप्त नहीं किया जा सकता? इसके लिए मजबूत इक्षा शक्ति के साथ ही विपक्ष के समर्थन की भी आवश्यकता है.
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पेपर लीक पर सवाल उठाने पर जताई खुशी
कन्नौज के पूर्व सांसद ने कहा कि मुझे ख़ुशी है इस बार जब पेपर लीक का मुद्दा राष्ट्रव्यापी बना है तो वो तमाम राजनीतिक दल जो इस भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था को संरक्षण देते रहे हैं आज वो भी पेपर लीक पर सवाल उठा रहे हैं. परीक्षा स्वकेंद्र हो गई नकल माफियाओं को मिले इस जबरदस्त समर्थन के बाद तो ऐसा नकल का नंगा नाच हुआ कि उत्तर बोर्ड पर लिख दिये जाते थे यदि पढ़ कर लिखना नहीं आता तो कापी कोई और लिख देता था कहीं कहीं तो परीक्षार्थियों को आने की भी आवश्यकता नहीं होती थी मार्कशीट फर्स्ट डिवीजन पास की उनके घर पहुँच जाती थी.
अपने पोस्ट में उन्होंने आगे कहा कि आज जब जनता के दबाव में यही लोग समर्थन कर रहे हैं. इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ तो मुझे भरोसा है जिस प्रकार से पिछले 10 वर्षों में बीजेपी शासित राज्यों में आतंकी माफिया समाप्त हो गये भू माफियाओं पे कार्रवाई जारी है अब इन शिक्षा माफियाओं की बारी है क्योंकि मोदी जी के पास इसे समाप्त करने की मज़बूत इक्षा शक्ति भी है और जनता के दबाव में विपक्ष का समर्थन भी और अब तो मजबूत क़ानून भी है देखते जाइए अब इन शिक्षा माफियाओं की खैर नहीं और ये पेपर लीक जैसी बिसंगतियाँ भूली बिसरी यादों में ही रह जायेंगी.