Kanpur News: देश के अलग अलग हिस्सों में अलग-अलग  तरह की फसलें पैदा की जाती है. क्योंकि सभी जगह पर जलवायु में परिवर्तन रहता है. जिसके चलते हम देश में ही अलग अलग फसलों को भिन्न भिन्न राज्यों से आयात निर्यात करते हैं. लेकिन कानपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस समस्या को दूर करने और प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए रिसर्च शुरू कर दी है. जिससे देश में पैदा होने वाली फसलें यूपी में पैदा की जा सके,और उन फसलों को रिसर्च कर यूपी की जलवायु के अनुसार ढालने के बाद पैदा किया जाएगा.


कानपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने देश के अलग अलग हिस्सों में उगने वाली फसल में सबसे पहले दक्षिण भारत में पैदा की जाने वाली फसलों के बीच पर रिसर्च शुरू की है दक्षिण भारत के मसाले को पूरी दुनिया में चर्चित हैं ,महाराष्ट्र में उगने वाले प्याज और मक्का  पर रिसर्च की जा रही है की उसे यूपी की जलवायु के अनुसार कैसे उगाया जा सकता है. वहीं इसके लिए कानपुर के कृषि विश्वविद्यालय में इसकी फसल उगाई गई है और उनके परिणामों पर काम चल रहा है.


परिणाम के बाद रिसर्च बढ़ाया जाएगा आगे
इसके लिए विश्वविद्यालय ने भारत की एक नामचीन बीज कंपनी से समझौता भी किया है जो विश्वविद्यालय को भारत में पैदा होने वाली अलग स्टेट की फसलों के बीज उपलब्ध कराएगी. नुजिवीडू सीड्स नाम की ये कंपनी भारत के अलग अलग हिस्से में फसलों के उत्कृष्ट बीजों को इकट्ठा कर कानपुर पहुंचेगी. वहीं अभी कुछ बीजों को मंगाकर उसपर रिसर्च और उसकी पैदावार की जा रही है. ये विश्वविद्यालय के एक फार्म में की जा रही है. जिसके परिणामों को देखकर ही इस रिसर्च को आगे बढ़ाया जा रहा है.


क्या बोले सीएसए कुलपति डॉ आनंद सिंह
क्या बोले सीएसए कुलपति डॉक्टर आनंद सिंह ने बताया की इस रिसर्च से यूपी के किसानों को बड़ा मुनाफा मिलेगा,जब किसान देश के अलग अलग हिस्सों में पैदा होने वाली फसलों को यूपी में पैदा कर सकेगा तो उसे बाहर के राज्यों से खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बल्कि यूपी में पैदा होने वाली वही फसलें जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों  में पैदा हो रही है उसे हमारा यूपी का किसान पैदा कर सकेगा और समृद्ध होगा उसकी आमदनी बढ़ेगी और यूपी सरकार जिन फसलों को अन्य राज्यों से खरीदती है. उन्हे उसे यूपी में ही उगाने की व्यवस्था होगी.


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