UP News: कोरोना (Corona) काल में छोटे लोन के एनपीए (NPA) होने से बैंक सबसे ज्यादा परेशान हैं. दो लाख तक की रकम सबसे ज्यादा डूबने की कगार पर है. करीब 70 हजार ग्राहकों ने लोन तक नहीं चुकाया है. इसमें से अधिकांश पर्सनल लोन (Personal Loan), ऑटो लोन (Auto Loan), कंप्यूटर लोन और सरकारी योजनाओं से जुड़े हैं. माना जा रहा है कि पिछले दो साल में छोटे लोन के भुगतान की रफ्तार में कमी आई है. बैंक के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो कानपुर (Kanpur) में विभिन्न बैंकों के करीब 2.4 लाख लोन धारक दो लाख तक के दायरे में हैं. इनमें से करीब 70 हजार लोगों ने पिछली तीन से पांच किस्तों का भुगतान नहीं किया है.


क्या है समस्या
जानकारों की मानें तो समस्या इस बात की है कि पर्सनल लोन लेने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. गारंटी या सिक्योरिटी ना होने की वजह से लोन लेने वालों से रिकवरी में परेशानी आ रही है. लोन की रिकवरी अब मुश्किल इसलिए लग रही है क्योंकि लोन लेने वाले किसी व्यक्ति ने या तो नौकरी बदल ली है तो किसी ने शहर. उनकी तलाश करना चुनौती बन गया है. यही चुनौती विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों की भी है. 10 से 50 हजार तक के लाभार्थियों से कोई गारंटी नहीं ली जाती है, जो जी का जंजाल बन बैठी है.


क्या बोले अधिकारी
अधिकारियों की मानें तो लोन का भुगतान ना होने से उनकी तलाश करना बड़ी मुसीबत बन गया है. अधिकांश लोन लेने वाले किराए के घरों में रहते थे, जिनमें से काफी लोगों ने किसी न किसी कारण से घर बदल लिया है. कर्जदार का स्थान भी बदल गया है. इसकी केवल वजह उनकी लोन का रीपेमेंट करने की नियत नहीं हो सकती है. बल्कि अन्य कारणों से भी वह घर या व्यापार स्थल बदल सकते हैं. 


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