UP News: भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान में लोगों को फिलहाल अभी निजात मिलती नजर नहीं आ रहे है. लेकिन पिछले 17 सालों से लगातार लाखों लोगों की प्यास बुझा रहे कानपुर देहात के वॉटर मैन एक नजीर बने हुए हैं. बीमारी से हुई बेटी की मौत के बाद उसकी याद में लोगों को निस्वार्थ पानी पिलाते हैं और हर रोज दस रुपए जोड़ते हैं. 17 साल में स्टेशन पर 17 हैंडपंप और 65 हरे भरे पेड़ लगाए हैं. वह अपनी नेकी से आम जनता से लेकर पशु पक्षियों का भी रखते हैं. कानपुर देहात के मोहम्मद शब्बीर ध्यान पक्षियों को दाना और प्यासे को पानी पिलाना नहीं भूलते हैं.
पूरे देश में पानी की किल्लत लोगों के लिए बड़ी समस्या बनी है. ऐसे में मानसून का न आना अभी एक बड़ी दिक्कत है. लेकिन कोनी कारगुजारी से चर्चा में बने कानपुर देहात के वो भागीरथ जो प्यासों की प्यास पानी पिलाकर बुझाते हैं. शब्बीर किसी भागीरथ से कम नहीं हैं. दरअसल, 17 साल पहले मोहम्मद शब्बीर की बेटी खैरूलनीषा बीमारी के चलते चल बसी थी और शब्बीर अपनी बेटी को बहुत चाहते थे. लेकिन बेटी की मौत ने उन्हें तोड़ दिया लेकिन उसी बेटी की चाहत और उसकी याद ने उन्हें आम लोगों से जुदा बना दिया.
शब्बीर हर रोज अपनी बेटी को दस रुपए दिया करते थे और बेटी उन पैसों को जोड़कर एक गुल्लक में रखती थी. उसकी मौत के बाद जब गुल्लक को तोड़ा गया तो उसमें निकले 54,00 रुपया ने कहानी को कारवां बना दिया. उन पैसों को बेटी की याद में जनता की सेवा में लगा दिया. पहला हैंडपंप 2007 में कानपुर देहात के झींझक रेलवे स्टेशन पर लगवाया और लोगों की प्यास बुझाने की मुहिम शुरू की. पिछले 17 सालों शब्बीर ने इस स्टेशन पर 17 हैंडपंप और 65 पेड़ों को लगाया था.
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कौन हैं वॉटर मैन मोहम्मद शब्बीर
कानपुर देहात के झींझक के रहने वाले शब्बीर का कहना है कि लगभग 54 साल के हैं. कानपुर में एक प्राइवेट नौकरी करते हैं जिससे वो लगभग हर महीने 12 हजार रुपए कमाते हैं. क्वीन देहात के झींझक स्टेशन से कानपुर स्टेशन तक ट्रेन जहां भी रुकती है शब्बीर वहां उतर कर लोगों की पानी को बोतल भरना या पानी लेनें के लिए उतरे लोगों के लिए मदद करते हैं. रेलवे प्रशासन की ओर से भी शब्बीर को इजाजत दी गई थी कि वो स्टेशन पर कोई भी ऐसा का काम कर सकते हैं और उन्हें कोई नहीं रोकेगा. जिसके चलते हर साल ये अपने पैसों से 5 पेड़ लाकर स्टेशन पर लगाते हैं. उसकी देखरेख भी करते हैं यहां तक की पेड़ों में पानी देने की जिम्मेदारी स्टेशन प्रशासन नहीं बल्कि शब्बीर करते हैं.
वहीं शब्बीर की दरियादिली और नेकी को देख कर क्षेत्र और स्टेशन के लोग उन्हें भागीरथ के नाम से पुकारते हैं. लोगों का कहा है कि शब्बीर लाखों लोगों की प्यास बुझा चुके हैं. उनके द्वारा लगाए गए हैंडपंप यहां से गुजरने वाले को प्यासा नहीं भेजती है. लोग शब्बीर को ऐसे अनोखे कमा के लिए सराहते हैं और उन्हें भगवान की तरह मानते हैं.