2024 से पहले यूपी BJP में खुलकर सामने आई कलह! कई दिग्गज आमने-सामने, टिकट को लेकर भी फील्डिंग शुरू
UP Politics: उत्तर प्रदेश में बीते दिनों कानपुर में बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी (Satyadev Pachauri) और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) के बीच विवाद काफी चर्चा में रहा था.
Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने बीते साल 18 नवंबर को कानपुर (Kanpur) महानगर के समग्र विकास के लिए बैठक बुलाई थी. तब ये बैठक काफी चर्चा में रही थी. तब कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी (Satyadev Pachauri) की नाराजगी सामने आई थी. सांसद ने मंडलायुक्त राजशेखर को इस बाबत पत्र लिखा था. अब सतीश महाना ने फिर से बैठक बुलाई है, जिसके बाद फिर ये विवाद होने की संभावना है.
सूत्रों की मानें तो पत्र में सांसद ने आपत्ति जताई थी कि इस बैठक को बुलाने का अधिकार सतीश महाना के पास नहीं है और इसे रद्द कर दिया जाए. कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी का इस मामले में साथ अकबरपुर से सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने दिया था. सत्यदेव पचौरी ने जो पत्र दिया था उसमें देवेंद्र सिंह भोले के हस्ताक्षर थे,लेकिन उस वक्त दोनों कुछ बोले नहीं थे.
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इस वजह से हैं नाराज
हालिया घटनाक्रम के बाद पचौरी और महाना आमने-सामने हैं. सूत्रों के अनुसार जिस तरह से महापौर का प्रत्याशी सतीश माहना गुट की प्रमिला पांडे को बनाया गया उसके बाद से पचौरी बेहद नाराज हैं. सत्यदेव पचौरी की बेटी और संघ के बड़े पदाधिकारी वीरेंद्र जीत सिंह की बहू नीतू सिंह की टिकट महापौर पद पर फाइनल मानी जा रही थी और पचौरी गुट की जीत तय थी.
सूत्रों का दावा है कि आखिरी वक्त पर सतीश महाना प्रमिला पांडे को टिकट दिलवा लाए ऐसे में दोनों गुटों में तलवारें खिंच गई. निकाय चुनावों से पहले सपा ने बीजेपी प्रत्याशी प्रमिला पांडे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया तो पचौरी ने भ्रष्टाचार का साथ ना देने की बात कहकर संकेत दिए. महाना गुट की मानें तो पचौरी गुट ने उन्हें महापौर का चुनाव हराने में खूब भितरघात की.
लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव
दरअसल, राजनीति के जानकारों की मानें तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में पचौरी और देवेंद्र सिंह भोले फिर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी में लगने वाली उम्र की सीमा और तमाम कारण दोनों के खिलाफ हो सकते हैं. सतीश महाना अभी यूपी विधानसभा अध्यक्ष हैं, लेकिन सभी जानते हैं कि सक्रिय रहने वाले महाना इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं और वो 2024 में लोकसभा का चुनाव लडना चाहते हैं.
साथ ही अकबरपुर लोकसभा में भी अपना दबदबा बरकरार रखना चाहते हैं. आज की बैठक में पचौरी और भोले नहीं आने की संभावना है. यानी संदेश साफ है कि अभी लड़ाई पचौरी और महाना के प्यादों के बीच थी लेकिन अब खुद दोनों के बीच होने वाली लड़ाई खूब गहरी होने जा रही है.