UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Assembly election 2022) में पहले चरण के चुनाव लिए अधिसूचना जारी होने के एक हफ्ते पहले कांग्रेस (Congress) ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट घोषित कर दी है.125 विधानसभा के प्रत्याशियों के नाम जारी करके कांग्रेस ने अन्य दलों से कम से कम इस मामले में बाजी मार ली है. कानपुर महानगर (Kanpur Mahanagar) की 10 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच प्रत्याशी घोषित किए गए हैं जबकि अभी 5 सीटों पर एलान अगली सूची में किया जाएगा. कानपुर की किदवई नगर विधानसभा (Kidwai Nagar Assembly Constituency) की बात करें तो यहां से तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर (Ajay Kapoor) को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं छावनी विधानसभा (Cant Assembly Constituency) से वर्तमान विधायक सोहेल अख्तर अंसारी (Sohail Akhtar Ansari) को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है. हाई प्रोफाइल सीट महाराजपुर (Maharajpur Assembly Constituency) से युवा कांग्रेस के कनिष्क पांडे (Kanishk Pandey) को प्रत्याशी बनाया गया है. शहर की आर्यनगर सीट (Aryanagar assembly Constituency) से प्रमोद जायसवाल (Pramod Jaiswal) को टिकट मिला है. तो वहीं सुरक्षित सीट बिल्हौर से उषा रानी कोरी (Usha Rani Kori) को उम्मीदवार बनाया गया है.


कानपुर में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता अजय कपूर अपना सातवां विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसके पहले साल 2002 से 2017 तक तीन बार लगातार विधायक रहे है. साल 2002 में अजय कपूर ने बीजेपी के बालचंद्र मिश्र को हरा कर पहली बार विधानसभा में कदम रखा था. इससे पहले अजय कपूर दो बार विधानसभा चुनाव हार भी चुके थे. उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत नगर निगम में पार्षद के तौर पर की. साल 2002 में भाजपा के बालचंद्र मिश्र से जीत कर पहली बार विधायक बने. साल 2007 में भाजपा के हनुमान मिश्र को हराया और फिर साल 2012 में बीजेपी के विवेकशील शुक्ला को पटखनी दी. लेकिन साल 2017 के चुनाव में बाजी पलटी और भाजपा के महेश त्रिवेदी से कपूर को मात मिली. अब साल 2022 में एक बार फिर से उनका मुकाबला भाजपा से तय है. यह बात भी गौर करने वाली है कि अजय कपूर के दम पर ही यहां कांग्रेस पार्टी मुख्य लड़ाई में रह पाती है.


कैंट विधानसभा में कैसी होगी लड़ाई?
उधर कांग्रेस के वर्तमान विधायक सोहेल अख्तर अंसारी फिर चुनाव मैदान में है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सपा गठबंधन पर इन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. कैंट विधानसभा में मुस्लिम वोटर ज्यादा होने की वजह से सीधा फायदा सोहेल अंसारी को मिला था. इस बार चौतरफा मुकाबला होने की वजह से सोहेल की राह आसान नहीं दिख रही. इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग प्रत्याशी उतार रहे हैं. वहीं बसपा भी अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने को तैयार है. माना जा रहा है कि बीजेपी को छोड़कर तीनों ही दल मुस्लिम प्रत्याशी उतारेंगे. ऐसे में साल 2012 में हुए चुनाव के नतीजे एक बार फिर से देखने को मिल सकते हैं.  एआईआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी यहां से अपना प्रत्याशी उतारेंगे. मुस्लिम वोटों के बंटवारे वर्ष 2012 में भाजपा के रघुनंदन भदोरिया बहुत कम मतों के अंतर से विधायक बने थे.


कांग्रेस ने महाराजपुर हाई प्रोफाईल सीट से युवा चेहरे के तौर पर कनिष्क पांडे को टिकट दिया है. पार्टी ने युवा कांग्रेस पूर्वी के प्रदेश अध्यक्ष कनिष्क पांडे को प्रत्याशी बनाया है. लंबे समय से कांग्रेस में सक्रिय कनिष्क, प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाते है. लगभग डेढ़ साल पहले इनको युवा कांग्रेस की कमान सौंपी गई और सक्रियता को देखते हुए इनको महाराजपुर जैसी महत्वपूर्ण और भाजपा की गढ़ कही जाने वाली सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. महाराजपुर में भाजपा के कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री सतीश महाना चुनाव मैदान में है ऐसे में कांग्रेस की राह बहुत आसान नहीं होगी.


आर्यनगर विधानसभा से कौन मारेगा बाजी?
कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जयसवाल के छोटे भाई प्रमोद जायसवाल आर्यनगर विधानसभा से अपनी किस्मत आजमायेंगे. साल 2017 में सिंबल मिलने के बाद भी कांग्रेस से इनको टिकट नहीं मिल पाया था क्योंकि उस वक्त सपा और कांग्रेस में समझौते के तहत यह सीट सपा के खाते में चली गई. जिसके बाद प्रमोद जायसवाल को अपना नाम वापस लेना पड़ा था और अमिताभ बाजपाई यहां से सपा के विधायक चुने गए. प्रमोद, श्रीप्रकाश जायसवाल के छोटे भाई हैं और राजनीति को लेकर दोनों भाइयों में बड़े टकराव दिखता रहा है. श्रीप्रकाश जायसवाल ने करीब करीब राजनीति से संन्यास ले लिया है ऐसे में प्रमोद जायसवाल को पहली बार कांग्रेस से टिकट मिल पाया है. यहां पर त्रिकोणीय संघर्ष तय माना जा रहा है. आर्यनगर विधानसभा भाजपा हमेशा का गढ़ रह है. हालांकि पिछली बार यहां से सपा के अमिताभ बाजपेई विधायक हुए हैं. जबकि इससे साल 1989 के बाद कांग्रेस को जीत नहीं हासिल हुई.


कांग्रेस ने कानपुर ग्रामीण की सुरक्षित विधानसभा सीट बिल्हौर से ऊषा रानी कोरी को अपना उम्मीद्वार बनाया है. पांच घोषित उम्मीदवारों में एकमात्र महिला उषा रानी का कांग्रेस में राजनीतिक सफर लंबा रहा है. वह पूर्व में जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुकी है. कानपुर ग्रामीण की अध्यक्ष भी रही हैं. पिछले लंबे समय से बिल्हौर विधानसभा में सक्रिय है. पार्टी ने अपने निष्ठावान नेता को चुनाव मैदान में उतारा ज़रूर है लेकिन बिल्हौर विधानसभा में  साल 1989 के बाद कभी भी कांग्रेस पार्टी लड़ाई में नहीं रही. ऐसे में उषा रानी कोरी की राह बहुत आसान नहीं होगी. बिल्हौर विधानसभा में लगातार सपा और बसपा का विधायक बनता रहा. पिछली बार जरूर बसपा से भाजपा में आए भगवती सागर यहां से विधायक हुए थे. बदले हालातों में यदि बात बिल्हौर विधानसभा की करें तो यहां से फिर से सपा, बसपा और भाजपा में राजनीतिक संघर्ष हो सकता है.


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